Thursday, November 30, 2023
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उदयनिधि की और बढ़ीं मुश्किलें, सनातन पर बिगड़े बोल के खिलाफ एक और याचिका; SC सुनवाई के लिए तैयार

उदयनिधि स्टालिन ( Udhayanidhi Stalin) और डीएमके नेताओ के सनातन धर्म विरोधी बयानों (Sanatana Dharma Remark ) के खिलाफ एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। वकील विनीत जिंदल ने यह याचिका दाखिल की है। बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट (Supreme court ) ने चेन्नई के एक वकील की याचिका पर नोटिस जारी किया था। अब इन दोनों याचिकाएं साथ सुनी जाएंगी।

नई दिल्ली। सनातन धर्म पर विरोधी बयान देने पर तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन और सांसद ए राजा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, दोनों नेताओं के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई है। यह याचिका वकील विनीत जिंदल ने किया है। बता दें कि पिछले हफ्ते SC ने चेन्नई के एक वकील की याचिका पर नोटिस जारी किया था। अब दोनों याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में साथ सुनी जाएंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था नोटिस

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सनातन धर्म पर विवादित बयान देने को लेकर तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन और द्रमुक नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इस मामले को हेट स्पीच पर लंबित दूसरी याचिकाओं के साथ सुनेगी। बता दें कि जस्टिस जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने बी जगन्नाथ की तरफ से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है। 

DMK नेताओं के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

उदयनिधि स्टालिन के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके सांसद ए राजा, सांसद थिरुमावलवन, सांसद सु वेंकटेशन, तमिलनाडु के डीजीपी, ग्रेटर चेन्नई पुलिस कमिश्नर, केंद्रीय गृह मंत्रालय, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के मंत्री पीके शेखर बाबू, तमिलनाडु राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पीटर अल्फोंस समेत अन्य को भी नोटिस जारी किया है।

क्या है पूरा मामला?

उदयनिधि स्टालिन ने एक जनसभा को संबोधित करते समय सनातन धर्म पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी, जिससे विवाद काफी ज्यादा बढ़ गया। उन्होंने कहा था कि ‘कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। जिस तरह हम डेंगू-मलेरिया का केवल विरोध नहीं कर सकते, बल्कि उन्हें खत्म करना भी जरूरी होता है। उसी तरह सनातन धर्म का केवल विरोध ही नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे खत्म भी करना चाहिए।’

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