न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
आजकल सबके पास आपने पर्सनल फोन है जिसमे ऑनलाइन पेमेंट एप्प्स है, क्रेडिट कार्ड है, जिसकी वजह से वो अपनी सारी जरूरतों का सामान घर मंगवा लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते है की पहले जब लोगों के पास फोन वगेरा नहीं होते थे तो वो कैसे सामान मंगवाते थे, आपके मन में भी ये सवाल जरूर आता होगा चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं :
दरअसल पहले लोगों के पास फोन नहीं हुआ करते थे लेकिन फिर भी वो अपना जीवन शांति से व्यतीत करते थे, लेकिन जबसे लोगों के पास फोन आए हैं तबसे उनके जीवन में काफी बदलाव देखने को मिले हैं, अगर बात करें सामान की तो पहले लोग खुद जाकर बाज़ार से सामान लाते थे, और कई बार फेरी वाले लोगों की मंगवाई हुई चीज को उनके घर तक पहुंचा देते थे. सिर्फ इतना ही नहीं फेरी वाले अपने अलग अंदाज़ में गाना गाकर अपने सामान को बेचते थे.
इसकी शुरुआत कब हुई
दरअसल ऐसा कहा जाता है की फेरीवालों के गाने का जो ये अंदाज़ और ये सिलसिला है वो मुगल शाशन से शुरू हुआ है, क्यूंकि पहले जब घर की औरतें अपने काम-काज में व्यस्त होती थीं तो उन्हें पता नहीं चलता था की बाहर कोई फेरीवाला आया है, इस वजह से वो सामान नहीं खरीद पाती थीं, तो वहीं इस कारण से मुगलों के बादशाह शाहजहां ये चाहते थे की उनके शहर और उनकी शाहजहानाबाद राजधानी में फेरीवाले अपनी ऊँची और साफ आवाज में लोगों तक उनकी जरूरतों का सामान पहुंचाए। और इस तरीके से घरों की महिलाओं को सामान खरीदने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
किश्तों में मिलती थी मेहेंगी चीज़
पहले अक्सर ऐसा होता था की जिन इलाकों में नकदी मिलती थी वहीं कपड़े आदि सामान बेचने वाले लोग जाया करते थे, उसके बाद लगभग 4-6 महीने तक सामान के बदले पैसे लेने के लिए वे लोग उसी गांव में घुमा करते थे. फिर गांव के किसी घर के किवाड़ में बनी झोपड़ी में लोग अपनी रात बिताया करते थे.