राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने इस वित्त वर्ष (2020-21) की दिसंबर में खत्म होने वाली तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए हैं। आंकड़ों में भारतीय अर्थव्यवस्था 0.4 फीसद बढ़ी है। बता दें भारतीय अर्थव्यवस्था में जून तिमाही के दौरान रिकॉर्ड 23.9 फीसदी की गिरावट हुई थी, जबकि दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी की गिरावट हुई। अब भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से बाहर निकल गई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 की इसी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वहीं एनएसओ ने 2020-21 में जीडीपी में 8 प्रतिशत गिरने का अनुमान लगाया है। जनवरी में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों में, उसने चालू वित्त वर्ष के लिए 2019-20 में चार प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले 7.7 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया था। बता दें अक्टूबर-दिसंबर 2020 में चीन की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत बढ़ी, जो जुलाई-सितंबर 2020 के मुकाबले 4.9 प्रतिशत अधिक थी।
क्या है जीडीपी
GDP का फुल फार्म है ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद। इसे किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं।
इससे क्या पता चलता है
जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेजी या गिरावट आई है। जीडीपी से एक तय अवधि में देश के आर्थिक विकास और ग्रोथ का पता चलता है। सालभर में अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या ख्रराब प्रदर्शन किया है। अगर जीडीपी आंकड़े सुस्ती को दिखाता है, तो इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है। सुस्त आंकड़े का मतलब है, देश ने इससे पिछले साल के मुकाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया।
कैसे तैयार होते हैं आंकड़े
भारत में एनएसओ साल में चार बार जीडीपी का आकलन करता है। मतलब हर तिमाही में जीडीपी का आकलन किया जाता है और हर साल एनएसओ सालाना जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी करता है।
इन चार घटकों से होता है जीडीपी का आकलन
‘कंजम्पशन एक्सपेंडिचर’, यह पहला घटक है। यह गुड्स और सर्विसेज को खरीदने के लिए लोगों के कुल खर्च को कहते हैं। दूसरा घटक है ‘गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर’ और तीसरा है ‘इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर’ है और अंत में नेट एक्सपोर्ट्स आता है।
यहां से इकट्ठा किए जाते हैं डेटा
जीडीपी के डेटा को 8 सेक्टरों से इकट्ठा किया जाता है। इनमें कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, गैस सप्लाई, माइनिंग, क्वैरीइंग, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, वानिकी और मत्स्य, फाइनेंसिंग, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज और कम्युनिटी, सोशल और सार्वजनिक सेवाएं शामिल हैं।
किसके अनुमान रहे सटीक
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में रिकार्ड वृद्धि होने की उम्मीद जताई थी। संगठन ने एक बयान में कहा था कि क्यूईटी आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधि की निगरानी संबंधी संकेतक हैं, जिसकी निगरानी पीएचडीसीसीआई करती है। बयान के मुताबिक बेरोजगारी दर, शेयर बाजार, जीएसटी संग्रह, विनिर्माण पीएमआई, विदेशी मुद्रा भंडार, रेलवे माल ढुलाई, वस्तुओं निर्यात, विनिमय दर और यात्री वाहनों की बिक्री जैसे आर्थिक तथा कारोबारी संकेतकों का रुख दिसंबर 2020 की तुलना में जनवरी 2021 में सकारात्मक है।
डीबीएस बैंक का ये था अनुमान
डीबीएस बैंक की जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान जीडीपी में 6.8 प्रतिशत की गिरावट रह सकती है। बैंक की रिपोर्ट के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2020 की आखिरी तिमाही (अक्टूबर- दिसंबर) में जीडीपी दर सकारात्मक दायरे में आ सकती है। डीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार तीसरी तिमाही में जीडीपी में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।