आज भी आप में से कई लोग ऐसे होंगे, जिन्हें प्राचीन इतिहास को जानने का बड़ा शौक होगा। उन्हें देखने के लिए भी आप कई बार अपनी इच्छा जाहिर भी करते होंगे। कई लोग तो ऐसे भी हैं जिन्हें किताबें लेकर इन जगहों के बारे में पढ़ना अच्छा लगता है। यही वजह है कि हम आपको आए दिन भारत की कुछ ऐतिहासक इमारतों के बारे में बताते रहते हैं, उनकी प्राचीन कहानियों के बारे में रूबरू कराते हैं। और आज एक बार फिर आपको एक ऐसे किले के बारे में बतायंगे जिसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। इसी पर आज हम बिस्तर से चर्चा करेंगे..
आज के इस कड़ी में हम दिल्ली के एक ऐसे किले के बारे में आपको बताएंगे, जिसकी अपने आप में ही एक अनोखी कहानी है।जी हाँ हम बात कर रहे हैं, मुगलों की आखिरी इमारत के बारे में, जिसे बहादुर शाह जफर के काल में बनवाया गया था,और जो दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित है।
मुगलकाल में बनी कई ऐसी इमारतें हैं, जिनमें से कुछ को तो लोग भूल गए हैं, तो कुछ को किसी न किसी वजह से आज भी याद किया जाता है। ऐसी बहुत सी इमारतें हैं, जिनके नाम से लोग भी वाकिफ नहीं हैं, इसी लिस्ट में शामिल है जफर महल।जी हाँ दोस्तों जफर महल का निर्माण तब किया गया था, जब मुगल काल खत्म होने पर था,और इस इमारत में आप संरचना के साथ-साथ आज भी यहां की भव्यता को आसानी से देख सकते हैं। कुछ लोग तो इसे जीनत महल या लाल महल के नाम से भी जानते हैं। पर अब यहां की हालत थोड़ी खराब हो चुकी है, लेकिन यहां के ऐतिहासिक महत्व को कोई नहीं जानता ।
ये महल आज भी महरौली में मौजूद है, जिसका निर्माण 1820 में शाहजहां के पोते अकबर शाह द्वितीय ने करवाया था। मगर इसे 19वीं सदी में फिर से बहादुर शाह जफर ने बनवाया था, बहादुर शाह जफर की बायोग्राफी के मुताबिक इस आलिशान महल के बाहरी हिस्से में एक आलिशान दरवाजे का भी निर्माण बादशाह ने किया था। अपने समय पर ये महल काफी ज्यादा आलिशान था, लेकिन अब इसके रखरखाव ना होने की वजह से ये महल खंडहर बन गया है।
इस महल को बहादुर शाह जफर ने अपने आराम गाह के लिए बनवाया था, क्योंकि उस समय महरौली में घने जंगल हुआ करते थे, जो शिकार और बाहरी दिल्ली के मुकाबले गर्मियों में रहने लिए काफी आरामदायक जगह हुआ करती थी। इस महल में एक कब्रिस्तान भी है, जहाँ शाही मुगल परिवार के कई सदस्य को दफनाया गया था ।
वही आपको बता दे की जफर महल को आखिरी मुगल स्मार्ट माना गया है, यही इसकी खासियत है, जिसकी संरचना तीन मंजिल है, इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया है। हालांकि, बाद में इसमें मुगल शैली में बना एक बड़ा छज्जा भी शामिल किया गया। इमारत की खासियत एक ये भी है कि इस महल को मुगल और यूरोपीय शैली का मिश्रण आपको बड़ा पसंद आएगा।ये महल दिल्ली के महरौली इलाके में मौजूद है, यहां टैक्सी से आराम से जा सकते हैं, इसके लिए आपको महरौली ग्राम बाजार, 818 कालका दास मार्ग पर जाना पड़ेगा। वहीं, यहां जाने के लिए आपकी कोई फीस नहीं लगेगी..