न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
देश भर में होली की तैयारियां शुरू हो चुकी है। यहाँ तक कि बनारस ,मथुरा और वृन्दावन जैसी जगहों पर होली शुरू भी हो चुकी है। हालाँकि आम जगहों पर 24 को होलिका दहन कर 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। क्योंकि होली की शुरुआत भारत में होलिका दहन के बाद ही होती हैं। लेकिन क्या आपको पता है भारत के बुंदेलखंड में एक गांव ऐसा है जहाँ पिछले 400 सालों से होलिका दहन नहीं किया गया। होलिका दहन के नाम से ही ये कांप उठता है। चलिए आपको इस खबर के माध्यम से बताते है इस गावं का खौफनाक किस्सा।
दरअसल इस गांव में होली तो मनाई जाती है रंग भी खेले जाते है लेकिन होलिका दहन नहीं किया जाता है। एक बार गांव के कुछ लोगो ने होलिका दहन करने की बात ठानी और होलिका दहन भी किया लेकिन उसके बाद पुरे गांव में आग लग गयी और गांव की सारी खेंते जलकर राख हो गयी। इस मंजर को देखने के बाद कभी किसी ने होलिका दहन करने के बारे में नहीं सोचा। गांव के लोगो का कहना है कि एक बार हमने कोशिश तो कि लेकिन एक बड़ा सा हवा का झोका आया और सब कुछ जला कर चला गया। उसका अंजाम आज भी हमे याद है इस लिए हम सब दुबारा ये गलती करने के बारे में नहीं सोच सकते।
होलिका दहन से माता होती है नाराज़
इस गांव में मान्यता है कि होलिका दहन करने से गांव के बाहर बिराजी माता नाराज हो जाती हैं। जी हाँ सागर मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित देवरी ब्लॉक में हथखोह नाम का एक गांव है। इस गांव में घने जंगल के बीचो-बीच नदी किनारे झारखंडन माता का मंदिर बना हुआ है। यहां के आदिवासी झारखंडन माता को बहुत ही श्रद्धा भाव से पूजते है खास कर किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले माता का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं। यह मंदिर तक पहुंचने के लिए डामर और सीसी रोड बनाया गया है जिससे ग्रामीण आसानी से दर्शन के लिए जा सके।
होलिका दहन नहीं करने के पीछे ग्रामीणों का कहना है कि माता नाराज़ हो जाती है अगर वह नाराज हो जायेंगी तो फिर कुछ भी हो सकता है। शायद माता जहाँ से आई हैं वहां वापस चली जाएगी।