न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
समय की धुंध में लिपटा, नीलवंती ग्रंथ भारतीय आध्यात्मिकता और ज्ञान की समृद्ध विरासत का एक साक्षी है। यह ग्रंथ न केवल आध्यात्मिक और ज्योतिषीय ज्ञान का भंडार है, बल्कि काव्यात्मकता और दार्शनिक गहराई के साथ जीवन के सार्वभौमिक सत्यों को भी प्रस्तुत करता है। लेकिन इस ज्ञान के भण्डार के बारे में एक बात हमेशा से चलती आ रही है कि जो भी इस ग्रन्थ को पढता है उसकी मृत्यु निश्चित है। क्या ये बात सत्य है ? आइये बताते हैं आपको विस्तार से…
नीलवंती ग्रंथ में वर्णित काव्यात्मकता न केवल शब्दों की सुंदरता में निहित है, बल्कि उसमें व्यक्त गहरे दार्शनिक विचारों में भी है। इसके श्लोक जीवन, कर्म, धर्म, और मोक्ष के विषयों पर विचार प्रस्तुत करते हैं, जो पाठकों को आत्म-अन्वेषण की ओर प्रेरित करते हैं। यह ग्रंथ आध्यात्मिक जागृति और आंतरिक शांति की खोज में मार्गदर्शन करता है। भारत ग्रंथों और महाकाव्यों का देश है। आदि काल से विभिन्न भाषाओं, लिपियों में अनगिनत ग्रंथ लिखे गए हैं, जिन्हें लोग आज भी पढ़कर मार्गदर्शन पाते हैं। इन महाकाव्यों, ग्रंथों का पठन-पाठन करना बहुत शुभ और लाभदायी माना जाता है. लेकिन हमारे देश में एक ऐसा शापित ग्रंथ भी हुआ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे पढ़ने वाले व्यक्ति की या तो मौत हो जाती है या वह पागल हो जाता है। इस शापित ग्रंथ का नाम नीलावंती ग्रंथ है।
नीलावंती ग्रंथ क्या है ?
नीलावंती ग्रंथ को एक नीलावंती नाम की एक यक्षिणी ने लिखा था ऐसा कहा जाता है कि नीलवन्ती के पास कुछ ताकत थी जिसकी वजह से वो अपने आस पास के पेड़ और पौधे से बात कर सकती है और उसकी मदद से खजाने की खोज कर सकती है लेकिन उन्हें इस बात का कोई लालच नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी सारी मायावी ताकत अपनी किताब में लिख दी। इसी वजह से नीलवन्ती ग्रन्थ को लिखने के बाद उन्होंने उससे श्राप दे दिया था कि जो भी व्यक्ति इस ग्रंथ को बुरी नियत से पढ़ेगा उसकी मृत्यु हो जाएगी और जो नीलावंती ग्रंथ को अधूरा पढ़ेगा वह पागल हो जाएगा। उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा।
नीलावंती ग्रंथ की यह बातें आमतौर पर महाराष्ट्र समेत दक्षिणी भारत में प्रचलित है। निलावंती ग्रंथ का रहस्य उतना ही गहरा है जितना कि इसका विषय। यह तांत्रिक ज्ञान, अनुष्ठानों और मंत्रों का भंडार है जो हिंदी साहित्य में नीलावंती ग्रंथ का वर्णन मिलता है,साथ ही ऐसा कहा जाता है कि नीलावंती आम तौर पर भूत प्रेत से बात भी कर सकती है ऐसा माना जात्ता है भूत उनके दोस्त थे , लेकिन अब ये ग्रंथ कहीं भी मौजूद नहीं है। यहां तक कहा जाता है कि शापित होने के कारण यह ग्रंथ भारत में बैन है। हालांकि इस बात का कहीं प्रमाण नहीं मिलता है. हालांकि इंटरनेट पर नीलावंती ग्रंथ के कुछ अंश मिलते हैं, लेकिन ये असली हैं या नहीं इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। ना ही इस बारे में कि इस ग्रंथ से जुड़े तथ्य सत्य हैं या नहीं।