एग्जाम, ये एक ऐसी चीज़ है जिससे हर इंसान कभी न कभी जरूर गुज़रा है, बच्चों में जितनी चिंता एग्जाम को लेकर होती है उससे कई ज्यादा चिंता उनके माता-पिता को होती है, एग्जाम से पहले ही माता-पिता अपने बच्चों की तैयारियों में जुड़ जाते है, पर कहीं न कहीं इस दौरान वो बच्चों से ऐसी बातें कह देते देते है या कर देते है की बच्चों का एंग्जाइटी लेवल बढ़ जाता है. चलिए जान लेते है की बच्चों को एग्जाम के दौरान एंग्जाइटी न हो इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना चाइए
पेरेंट्स को ये बात समझनी चाहिए की परीक्षा के वक्त हर बच्चे का जीवन तनाव से भरा होता है, ऐसे में पेरेंट्स की तरफ से बनाये गए प्रेशर की वजह से बच्चों में काफी डर बैठ जाता है, की कहीं वो फ़ैल हो गये तो? एग्जाम अच्छा नहीं गया तो? इसका असर बच्चों की परीक्षाओ पर भी पड़ता है साथ ही उनकी सेहत पर, क्यूंकि इससे उनके दिमाग में ज़ोर पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें सर दर्द, नींद न आना या काम आना आदि जैसी दिक्कतों का उन्हें सामना करना पद सकता है. जाने अनजाने कई बार ऐसा होजाता है की पेरेंट्स अपने बच्चों पर प्रेशर बना देते है लेकिन उन्हें इस बात की कोई खबर नहीं होती है.
एंग्जाइटी कम करने के लिए क्या करें –
- अपने बच्चों के साथ समय व्यक्त करें
- उनसे बात करें, ज़ोर न दे
- नरमी से पेश आएं
- उनकी तकलीफ को समझें
- पढ़ाई में मद्दद करें
पेरेंट्स के वो व्यवहार जो बच्चों में एग्जाम एंग्जाइटी बड़ा देते हैं –
बहुत बार ऐसा होता है की पेरेंट्स को ये अंदाज़ा ही नहीं होता की वे बच्चों के परीक्षा की तैयारी के दौरान बहुत ज्यादा हस्तक्षेप कर देते हैं, जिससे बच्चों के उप्पर तनाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ता है, और वो अच्छे से फोकस नहीं कर पाते।
एग्जाम के दौरान बच्चों के उप्पर प्रेशर बनाने से और उनको हर चीज़ के लिए टोकने से भी बच्चों में एंग्जाइटी लेवल बढ़ जाता है, क्यूंकि उन्हें ऐसा लगने लगता है की उन्ही के अंदर कुछ न कुछ कमी है, जिसकी वजह से वो और ज्यादा डिमोटिवेट हो जाते हैं।
इसका अगला कारण ये होता है की पेरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं ये सोचकर की शायद इससे वो कुछ अच्छा सीखेंगे लेकिन उनकी ये चीज़ उनके बच्चों का कॉन्फिडेंस कम कर देती है, जिसकी वजह से उनका पढ़ाई में ध्यान अच्छे से नहीं लग पता।
तो बच्चों की परीक्षा के समय इन सभी चीज़ों को ध्यान में रखे और अपने बच्चों को एंग्जाइटी जैसी चीज़ से बचाएँ।