अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित करने वाली खबर आई है। वित्त वर्ष 2020 में 50 लाख रुपये से अधिक सालाना कमाई करने वाले वेतनभोगियों की संख्या में गिरावट आई है। यह तब की बात है कि जब अर्थव्यवस्था पर कोरोना संकट हावी भी नहीं हुआ था। आयकर रिटर्न फाइलिंग डेटा से यह जानकारी मिली है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वेतन, घर की संपत्ति या खेती से 5000 रुपये तक की कमाई करने वालों के लिए वित्त वर्ष 2020 में आईटीआर-1 फॉर्म के तहत रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 10 जनवरी 2021 थी। जनवरी के अंत तक के डेटा के अनुसार, इस श्रेणी के टैक्स भरने वालों में पिछले साल के मुकाबले करीब 6.6% की गिरावट आई है। यह चिंता की बात इसलिए है कि ये टैक्स भरने वालों का सबसे बड़ा हिस्सा होता है। इस श्रेणी में आयकर रिटर्न फाइल करने में गिरावट की वजह से पूरे रिटर्न फाइलिंग में भी 6.5% की गिरावट आई है। इसमें व्यक्तिगत करदाता के साथ-साथ कंपनियां भी शामिल हैं लेकिन कंपनियों के मामले में ये डेटा पूरा नहीं है। जिन कंपनियों के ऑडिट की जरूरत थी, उनके लिए टैक्स फाइलिंग की आखिरी तारीख 15 फरवरी रखी गई थी, इसलिए इस डेटा में वो कंपनियां शामिल नहीं है जिन्होंने आखिरी वक्त पर टैक्स भरा होगा।
घट रहा है कर संग्रह का आधार
टैक्स रिटर्न भरने वालों में कई सारी श्रेणी होती हैं। हर साल टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया में नए करदाता जुड़ते हैं। वहीं कुछ लोग नौकरी जाने की वजह से या मृत्यू की वजह से इस सूची से बाहर हो जाते हैं। टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में गिरावट साफ तौर पर सिकुड़ते टैक्स संग्रह को दर्शाता है। बाता दें कि चिंता की बात यह है कि टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में ये गिरावट उस वक्त में देखने को मिली है जब जीडीपी में करीब 4% ग्रोथ दिख रही थी।
रिटर्न दाखिल में गिरावट की कई वजह
ऑनलाइन टैक्स सर्विस देने वाली कंपनी क्लियर टैक्स के फाउंडर अर्चित गुप्ता ने बताया कि इस गिरावट के पीछे कई सारे कारण हो सकते हैं। रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति रही। वहीं कुछ लोग उम्मीद लगाकर बैठे थे कि रिटर्न फाइलिंग की डेट बढ़ाई जाएगी। कई बिजनेस के बंद हो जाने की वजह से उनके कर्मचारियों को फॉर्म-16 नहीं मिले हैं, ये भी कम रिटर्न फाइल होने के पीछे अहम वजह हो सकती है।
कोरोना के असर का अंदाजा 2021-22 से मिलेगा
ईवाई के टैक्स पार्टनर सोनू अय्यर का कहना है कि कोरोना वायरस संकट के दौरान लोगों की कमाई पर क्या असर हुआ इसका सही अंदाजा 2021-22 की रिटर्न फाइलिंग से लग सकेगा। हालांकि, ज्यादा कमाई वाले श्रेणी के रिटर्न फाइल करने वाले लोगों में गिरावट देखने को मिली है। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म, डीवीएस के संस्थापक, दिवाकर विजयसारथी ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से रिटर्न भरने में कमी आ सकती है। हालांकि, अंतिम डेटा इस साल के अंत तक ही आ सकता है। उसके बाद ही तस्वीर साफ होगी। सरकार की प्राथमिकता रही है कि वो प्रत्यक्ष कर बेस में इजाफा करे। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी और 2017 में हुए जीएसटी रोलआउट के बाद इकनम टैक्स रिटर्न में बड़ी तेजी देखने को मिली थी लेकिन फिर ये तेजी सुस्त हो गई।