30 जनवरी को मेयर चुनाव पर विवाद हो गया था। जिसमे भाजपा अध्यक्ष मनोज सोनकर ने 16 वोट पाकर जीत हासिल की । इसके खिलाफ AAP और कांग्रेस पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव के पीठासीन अधिकारी को फटकार पड़ी और मामले में 19 फरवरी की तारीख तय की गई थी। जिसके साथ ही सुनवाई से पहले रविवार शाम मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की आज यानि की 19 फ़रवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी । और मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले यूपी की सियासत में रविवार देर रात धमाका हुआ था ,जहाँ मेयर चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर आम आदमी पार्टी ने सड़क और निगम के बाहर प्रदर्शन किया और इधर अलग ही खेला हो गया क्यूंकि भाजपा ने प्लान-बी तैयार कर सारा खेल ही पलट डाला।
सुप्रीम कोर्ट से अगली सुनवाई के लिए मिला 13 दिन के बाद का समय भी भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुआ। इस अंतराल में भाजपा ने आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को तोड़कर बड़ा उलटफेर कर दिया। जिसकी वजह से AAP के कार्यकर्ता और नेता भी सकते में हैं।और अब यह भी तय हो गया है कि मेयर चुनाव दोबारा होंगे। ऐसे में भाजपा आप से आईं वार्ड नंबर-19 की पार्षद नेहा को मेयर पद का उम्मीदवार बनाकर एक और दांव खेल सकती है। यही नहीं पाला बदलने वालीं वार्ड नंबर-16 की पार्षद पूनम को भी भाजपा कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जोड़-तोड़ की राजनीति अभी खत्म नहीं हुई है।और आम आदमी पार्टी के साथ साथ कई और पार्टी के नेता bjp के साथ आगे जुड़ सकती है और आम आदमी पार्टी का एक और पार्षद पाला बदल सकता है।
मेयर चुनाव विवाद के बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत प्रदर्शन में लगा दी थी।और वही दूसरी तरफ, भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते ही प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया।और साथ ही पार्टी ने कुछ वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी कि वह आम आदमी पार्टी के उन पार्षदों की पहचान करें जो किन्हीं कारणों से नाराज चल रहे हैं। इसके बाद से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने विपक्षी पार्षदों के साथ संपर्क साधना शुरू कर दिया था।
ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को इसकी भनक नहीं थी लेकिन समय रहते उन्होंने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया, जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है । तीन पार्षदों के जाने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है।हालांकि 30 जनवरी को सारा विवाद मेयर चुनाव की वजह से हुआ था इसलिए पार्टी हाईकमान के कहने पर नवनिर्वाचित मेयर मनोज सोनकर ने रविवार शाम को इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा मेयर चुनाव विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए भी भाजपा यह मान कर चल रही थी कि दोबारा से चुनाव हो सकते हैं इसलिए भाजपा ने पहले ही आप के पार्षदों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी।
अब यहाँ पर ये देखना काफी दिलचस्प होगा की 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कितने लोग अपना दल बदलते है और bjp के साथ साठ -गांठ करते है। क्यूंकि राजनीति है ही ऐसी चीज़ जहाँ जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला मुहावरा काफी फ़ीट बैठता है.