Saturday, December 14, 2024

शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए 300 KM की यात्रा कर साइकिल से आए सुखविंदर…

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शंभू बॉर्डर पर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। नए जुड़ने वाले किसानों में युवाओं की संख्या ज्यादा नजर आ रही हैं। किसान आंदोलन के छठे दिन रविवार को बाॅर्डर पर माहौल शांत नजर आया, लेकिन शाम के समय कुछ नौजवानों में उत्साह देखने को मिला उन्होंने रस्सी फांद कर आगे जाने की कोशिश की। हालांकि, उन्हें आगे जाने से रोक लिया गया था।

बॉर्डर पर जुटे किसानों का रवैया साफ है कि उनकी मांगों को लेकर हल न होने पर दिल्ली कूच किया जाएगा। रविवार को शंभू बॉर्डर पर निहंगों का दल भी पहुंचा। इस मौके पर उन लोगों ने बोले सो निहाल के जयकारे लगाए। खराब मौसम के चलते रविवार को दिन में ठंडक बढ़ने के बावजूद किसानों का जोश कम नहीं हुआ।

महिलाओं के साथ किसानों ने लंगर बनाने के काम में सहयोग करने के साथ-साथ अपने भाषणों के जरिये नौजवानों में खूब जोश भरा। दिन भर बाॅर्डर पर किसानों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहा।

रविवार को विभिन्न संस्थाओं की ओर से बार्डर पर जगह-जगह खीर, मीठे चावल, कढ़ी चावल, रोटी व दाल के लंगर लगाए गए। सेहत संबंधी कई समस्याएं होने के बावजूद गांव शंभू कलां से बॉर्डर पर पहुंचे 80 साल के किसान उजागर सिंह ने कहा कि किसान नेताओं से उनकी यही मांग है कि इस बार लिखित में केंद्र से मांगों के संबंध में वादा लिया जाए।

बैठक में मांगों का हल न निकलने पर दिल्ली कूच किया जाएगा। अब हमारी आर-पार की लड़ाई लड़े बिना कुछ नहीं होगा, क्योंकि जब खेतीबाड़ी ही नहीं रहेगी तो फिर किसान खुद ही खत्म हो जाएगा।

फतेहगढ़ साहिब से पहुंचे किसान परमजीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के कहे पर ही आगे कदम उठाया जाएगा, लेकिन किसान नेता भी यही चाहेंगे कि दिल्ली जाकर मांगों को लेकर लड़ाई लड़ी जाए, क्योंकि किसान हर हाल में मांगें मनवाना चाहते हैं।

65 साल की धीर कौर ने कहा कि इस मोर्चे को फतेह करने में महिलाएं भी पूरा योगदान देंगी। बैठक में बात बन गई तो बहुत अच्छा है, नहीं तो दिल्ली जाकर पहले की तरह आंदोलन लड़ेंगे। फिर चाहे कितनी ही देर वहां रुकना पड़े।

उम्मीदों के सहारे गुरदासपुर का एक किसान साइकिल से करीब 300 किलोमीटर की यात्रा कर अपनी मांगों को मनवाने के लिए विरोध कर रहे किसानों को समर्थन देने पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू बॉर्डर पर पहुंच है। किसान सुखविंदर ने कहा कि मैं घर पर बेचैन था और खुद को साथी किसानों की हालत का पता करने से रोक नहीं सका।

ये किसान अपनी जायज मांगों के लिए कड़ाके की ठंड में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मेरा भाई भी कुछ दिन पहले एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में आया था जोकि शंभू बॉर्डर पर ही है। मैंने भी यहां आने का निर्णय लिया और साइकिल से आया। गुरदासपुर के किसान ने बताया कि वह 17 फरवरी की सुबह आठ बजे अपने घर से निकले थे, जिसके चलते 24 घंटों से ज्यादा का सफर तय कर अपने किसान भाइयों के लिए शंभू बॉर्डर पर पहुंचा हूं और आते ही आज शाम को रखी मीटिंग में हल निकलने की अरदास भी की है।

शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में समाजसेवी संस्थाएं भी उतर गई हैं। खालसा एड, जेएसडब्ल्यू, पहरेदार कई प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर व उनके स्टाफ सहित कई अन्य समाज सेवी संस्थाएं किसानों को पीने के पानी, दवाइयां, उनकी सेहत जांच के लिए लगाए जा रहे कैंप, दूध, जूस, बिस्कुट, लस्सी, 24 घंटे लंगर की व्यवस्था सहित अन्य जरूरत की हर चीज मुहैया करवा रही हैं। हालांकि ये पहली दफा नहीं जब ये संस्थाएं किसानों के समर्थन में आयी हो। इससे पहले भी खालसा एड सहित कई संस्थाओं ने दिल्ली के सिंधु टिकरी बॉर्डर पर भी मोर्चा संभाला था।

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