Saturday, December 14, 2024

शफीकुर्रहमान बर्क राजनीतिक सफर कैसे शुरू किए जाने वजह

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न्यूज़ डेस्क : (GBN24)

समाजवादी पार्टी से सांसद रहे dr . Shafiqur Rahman Burq ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करीब 57 वर्ष पहले की थी। जहां वह चौधरी चरण सिंह के संपर्क में आने के बाद उनसे काफी प्रभावित हुए थे और राजनीति में अपना कदम रखा था जिस कारण मुस्लिमों का गढ़ कहे जाने वाले संभल में उनकी एक अलग नेता के रूप में पहचान बनी थी। और उनके निधन के पश्चात लोग उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है और हमारा आज का वीडियो भी उनके जीवनी को दर्शायेगा

संभल लोकसभा सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क की आयु 94 वर्ष था और ऐसे में वह संसद में सबसे अधिक उम्र वाले सांसद थे और इस कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी थी। सांसद डा. बर्क की अपनी एक अलग पहचान थी । इतना ही नहीं उनकी आयु के बारे में tv शो कौन बनेगा करोड़पति में कार्यक्रम के दौरान हॉट सीट पर बैठे अमिताभ बच्चन ने भी प्रतिभागी से सवाल पूछा था कि सबसे अधिक आयु वाले सांसद कौन हैं।

वैसे Dr. Shafiqur Rahman Burkq संभल से ही नहीं बल्कि मुरादाबाद लोकसभा से भी सांसद रह चुके थे और इस कारण उनके बारे में संभल ही नहीं बल्कि मुरादाबाद में भी सभी लोग उनके नाम से उन्हें बाखूबी पहचानते है । वह बेबाक नेता के रूप में भी काफी प्रसिद्ध थे और इसी का उदाहरण है कि उन्होंने संसद में चल रहे सत्र के दौरान वंदेमातरम का विरोध किया था। इस पर वह काफी समय तक मीडिया की सुर्खियों में शामिल रहे।

जब बर्क राजनीती में आये थे तभी Chaudhary Charan Singh का साथ उन्हें मिला था उसी समय Mulayam Singh Yadav भी Chaudhary Charan Singh के संपर्क में रहे थे और उसके साथ ही Janeshwar Mishra, Mohan Singh, Azam Khan समेत कई अन्य संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल रहें। मगर संभल सांसद डा. बर्क राजनीतिक दलों से ऊपर थे।

बता दे की उन्हें किसी भी राजनीतिक पार्टी की सीमा से नहीं बांधा जा सकता था और इस कारण उन्होंने मौका मिलने पर सपा और बसपा से अलग अलग चुनाव भी लड़ा। इनका एजेंडा मुख्य रूप से मुस्लिम राजनीति के उपर था । यह वहीं सांसद हैं जिन्होंने लोकसभा में वंदे मातरम का विरोध किया।

बर्क की एक खास आदत थी की वो अपनी बात विचार बहुत खुले में रखते थे बिना किसी से डरे और सहमे जब इजराईल और फिलिस्तीन के बीच हुए युद्ध हुआ था उस वक़्त भी उन्होंने फिलिस्तीन का समर्थन खुले में किया था।जबकि भारत हमेशा से इजरायल का समर्थक रहा है इसके बावजूद उन्होंने अपना समर्थक फिलिस्तीन को दिया था। इतना ही नहीं सांसद डा. बर्क अपने घर पर बैठकर प्रतिदिन स्थानीय लोगों से मिलते भी थे और उन्हें यदि कोई समस्या या शिकायत होती है तो वह उसका किसी समस्या का समाधान कराने का भी प्रयास करते थे , जिसके लिए वह किसी भी अधिकारी से फोन पर बात करने से भी नहीं चूकते थे

आपकी जानकारी के लिए यहाँ पर बता दे की संभल सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क 1967 में संभल विधानसभा से प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे दो बार के विधायक Mahmood Hasan Khan को बराबर की टक्कर दी थी, लेकिन इस दौरान जीत जनसंघ प्रत्याशी Mahesh Kumar को मिली थी।

1969 में फिर से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के रूप में उतरे, लेकिन इस बार भी उन्हें हर मिलाथा और Mahmood Hasan Khan को जीत मिली।

1974 के विधानसभा चुनाव में डा. बर्क की मेहनत रंग लायी और वह संभल से विधायक बने।इसके बाद लगातार दूसरी बार भी डा. बर्क को विजय मिली।

वर्ष 1995 में डा. शफीकुर्रहमान बर्क ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। वर्ष 1996 में मुरादाबाद लोकसभा से प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा।
जहां पहली बार में ही उन्होंने जीत हासिल की।यहां से लगातार दे बार जीत के बाद उन्हें दो बार हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 में बसपा से संभल लोकसभा से प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और संभल सीट पर भी जीत हासिल की।

वर्तमान में वह समाजवादी पार्टी से संभल लोकसभा सांसद थे । वैसे तो राजनीति में सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क की अपनी अलग ही छवि था ।लेकिन 94. वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हम और हमारे टीम के तरफ से उनको भावपूर्ण सर्धांजलि अर्पित

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