न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
कल 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पावन दिन है। इस दिन शिव और पार्वती जी का विवाह हुआ था। इस पावन दिन के अवसर पर महिलाएं व्रत रखती है और पूजा करती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवन शिव की पूजा करने से मन चाहे वर की प्राप्ति होती है। हर साल की तरह इस साल भी महिलाएं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कल पूजा करेगी। भगवान शिव को खुश करने के लिए भांग, धतूरा, बेर, दूध और भी कई साडी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है भगवान शिव के पूजा के दौरान किस चीज़ का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं किया जाता है।
दरअसल शंख का प्रयोग सभी देवताओं को जल चढाने के लिए किया जाता है और ये भी कहा जाता है घर में शंख रखना बहुत ही शुभ होता है भारतीय संस्कृति के अनुसार घर में शंख रखने से सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है। साथ ही शंख भगवान विष्णु का प्रिय हथियार भी है। शंख की ध्वनि आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न है।
लेकिन बता दें कि भगवान शिव की पूजा के दौरान या फिर शिव के आस पास शंख नहीं रखा जाता है। भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित माना गया है। न तो शिव की पूजा के दौरान शंख बजाया जाता है और न ही शिव की पूजा के दौरान महादेव को शंख से जल चढ़ाया जाता है। इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है।
महादेव को शंख से जल नहीं चढाने का कारण…
शिवपुराण के अनुसार, दैत्यराज दंभ की कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की थी। तपस्या से खुश होकर भगवान् विष्णु ने उनसे वरदान मांगने को कहा तब दैत्यराज ने महापराक्रमी पुत्र का वरदान मांगा। तपस्या से खुश हुए विष्णु जी ने वरदान दे दिया। जिसके बाद दैत्यराज के घर एक पुत्र ने जन्म लिया और उसका नाम शंखचूड़ पड़ा।
कुछ साल बाद शंखचूड़ ने पुष्कर में ब्रह्माजी को खुश करने के लिए तप किया। तप से प्रसन्न हुए ब्रह्मा जी ने वरदान मांगने के लिए कहा, वरदान में शंखचूड़ ने ये माँगा कि वे देवताओं के लिए अजेय हो जाए। ब्रह्माजी ने वरदान में श्रीकृष्णकवच दे दिया। और साथी शंखचूड़ का विवाह धर्मध्वज की कन्या तुलसी से करा दी।
ब्रह्माजी से वरदान मिलने के बाद शंखचूड़ को घमंड आ गया जिसके बाद उसने तीनों लोकों में अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया। शंखचूड़ की इस रवैये से परेशान देवी देवताओं ने विष्णु जी से मदद की गुहार लगाई , भगवान विष्णु ने खुद दंभ पुत्र का वरदान दे रखा था। इसलिए विष्णुजी ने शंकर जी की आराधना की। जिसके बाद शिवजी ने देवताओं की रक्षा के लिए अपने त्रिशुल से शंखचूड़ का वध किया।
ऐसी मान्यता है कि शंखचूड़ की हड्डियों से शंख का जन्म हुआ। शंखचूड़ विष्णु जी का प्रिय भक्त था इसी कारण भगवान विष्णु को शंख से जल चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। हालाँकि भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया था इसलिए महादेव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता।