पछिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी अपने धर्म की महिलाओं पर अत्याचार कर रही हैं.. जब से ममता बनर्जी की सरकार पश्चिम बंगाल में आई है तभी से वहां पर हिंदू धर्म के लोगों के साथ मारपीट की बात काफी तुल पकड़ रही है और अभी हाल ही में यह मामला फिर से ताजा हुआ है जब संदेश खली की बात सामने आई है。 अब सवाल यहां पर यह उठ रहा है कि आखिर ममता बनर्जी ऐसा क्यों कर रही है ये मेरा नहीं आपका नहीं ये पुरे देश वासियों का सवाल है की आखिर ममता बनर्जी एक औरत होकर औरत पर इतना अतियअचार क्यों कर रहीं हैं ? क्या वाकई में उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है क्योंकि बीच में उनके मुस्लिम धर्म को अपनाने की बात सामने आई थी, फिर भी यदि उन्होंने ऐसा किया भी है तो ऐसी क्या वजह है जो वह हिंदुओं पर अत्याचार करवा रही है .और तो और जब ममता बनर्जी अपने ही धर्म को अपना नहीं मानती है तो वो दूसरे के धर्म को अपना क्या मानेगी यह भी सवाल उठकर सामने आता दिख रहा है…
आपको बतादें की इस समय संदेशखाली पश्चिम बंगाल में पॉलिटिक्स का एक बड़ा Epicenter बन चुका है… और इस वक़्त देश की राजनीति दो मुद्दों को लेकर गर्म है, पहला किसान आंदोलन जिसमे विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है वंही दूसरा मुद्दा पच्छिम बंगाल के संदेशखाली का है अगर आप संदेशखाली के बारे में जानते है पर इस बात से अवगत नहीं है की वह क्या हो रहा है तो आपको बता दे की बीजेपी संदेशखाली में हुए महिलाओं के साथ अत्याचार के मुद्दे को छोड़ नहीं रही है और दीदी भी कोई मौका बीजेपी को नहीं दे रही हैं। बीजेपी लगातार ममता पर दबाव बना रही है। पहले SC -एसटी आयोग ने दौरा किया, फिर राष्ट्रीय महिला आयोग ने और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संदेशखाली हिंसा और महिलाओं के साथ हुए रेप की घटनाऔ पर suo moto लेते हुए 4 हफ्ते में चीफ सेक्रेटरी और dgp से संदेशखाली हिंसा पर रिपोर्ट मांगी है। संदेशखाली को लेकर बीजेपी जितनी गुस्सा है, दीदी की चिंता उतनी ज्यादा बढ़ रही है। संदेशखाली की वो फाइल जो अब तक आपको किसी ने नहीं बताई वो हम आपको बताएंगे…
पहले जान लेते हैं की संदेशखाली का मुद्दा इतना political hot क्यों है, बतादें की इसके पीछे 2024 की 42 सीटों का Mission है…इसे समझने के लिए पश्चिम बंगाल की सियासत का पिछले 15 साल का जो आंकड़ा है यदि आप उसे देखेंगे तो इस घमासान का कारण समझ जायेंगे-
ये नतीजे उन 2009,2014 और 2019 के चुनाव के हैं…जिस समय तृणमूल के पत्तों ने लाल झंडे से ढके पश्चिम बंगाल को ढक लिया था…आज इस बात की लड़ाई है कि कहीं वैसा ही कुछ न हो जाये और इस बार बीजेपी का फूल तृणमूल के पत्ते को न ढक ले…क्योंकि इस दौरान एक चीज इन 15 सालों में common हुई है, जोकि है बीजेपी का शानदार strike rate… बतादें की 2009 में बीजेपी का strike rate सिर्फ 2.38 प्रतिशत था, और उन्हें एक seat मिली थी…पर 2014 में ये strike rate दोगुना होकर 4.76 प्रतिशत पहंच गया और सीटें एक से बढ़कर 2 हो गईं… इसके साथ ही 2019 में बीजेपी का पॉलिटिकल शेयर अचानक से बूम कर गया और strike rate सीधा 42.85 पहंच गया,जिसका मतलब उनका strike rate 9 गुना ज्यादा बढ़ गया और उनके हाथ में 18 सीटे आ गईं…बीजेपी का यह performance ही वो कारण है जो दीदी की फिक्र को बढ़ा रहा है…
सवाल ये भी है की आखिर बीजेपी संदेशखाली पर क्यों अग्रेसिव है और क्यों दीदी संदेशखाली पर बीजेपी को कोई ढील नहीं देना चाहती है… उसकी भी बड़ी पॉलिटिकल और बड़ी रणनीतिक वजह है…पहले जान लेते है की इसके पीछे का रणनीतिक कारण क्या है…दरअसल पश्चिम बंगाल में जन आंदोलन का एक बड़ा मजबूत इतिहास रहा है… और खासतौर पर दीदी जन आंदोलन की ताकत से वाकिफ है… ममता की सियासी हैसियत शायद इतनी बड़ी नहीं होती अगर Singur और Nandigram में ज़मीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलनों को ममता lead नहीं कर रही होतीं…यही वजह है कि दीदी संदेशखाली को बीजेपी के लिए सिंगूर नहीं बनने देना चाहती है…वहीं बीजेपी संदेशखाली के जन आंदोलन के ब्रह्मास्त्र से दीदी को परास्त करना चाहती है… इसीलिए संदेशखाली पर पूरी बीजेपी फ्रंट पर है और और पूरी तरह से एक्टिव है…
ममता बनर्जी बस वोट बैंकिंग के लिए लोगों का इस्तमाल करती है…कभी धर्म के नाम पे तो कभी भाई चारा के नाम पर , लेकिन आज संदेशखाली की प्रस्तिथियाँ कुछ ऐसी है जिसे सुनकर आपकी रूह काप उठेगी… ममता बनर्जी एक महिला होकर महिलऔ पर अत्याचार कर रही है… जिनके माथे पर सिंदूर पैरों में बिछिया और गले में मंगलसूत्र नजर आ रहा है उन्हें चुन चुन कर बंगाल में टारगेट किया जा रहा है और यह दावा किया जा रहा है कि यह सब ममता दीदी के इशारे पर किया जा रहा है. और पूरे देश में आज पश्चिम बंगाल की सियासत को कटघरे में लॉकर खड़ा कर दिया गया है की ऐसा कब तक चलता रहेगा यह तानाशाही की सरकार बंगाल में कब तक रहेगी या फिर अब होगा बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू.
यहां पर सवाल ये भी उठता है की बीजेपी अबतक चुप्पी क्यों सादे हुए है? बीजेपी हमेशा बोलती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन आज देखिये न ऐसी परिस्तिथिया हैं जहाँ बेटी बहु धर्म के नाम पर सताए जा रहे है…
आपका इस पूरे विषय पर क्या कहना है हमें कमेंट करके अपने राय जरूर बताएं और साथ ही यह भी बताएं कि क्या वाकई बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए या फिर ऐसे ही तानाशाह की सरकार रहने देना चाहिए।