मालदीव और लक्षद्वीप की…दक्षिण एशिया में हिंद महासागर के बीच बसा देश मालदीव अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में ख्यात है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप जाने और वहां से सोशल मीडिया पर अपनी फोटो डालने के बाद से ही मालदीव और उसके कुछ नेता ऐसे बौखलाए हुए हैं… इसकी वजह से अब भारत और मालदीव के रिश्ते में दरार आ गई है. सवाल ये हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है? क्यों प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे से मालदीव के नेताओं को मिर्ची लग रही है? क्या मालदीव के नेताओं का भारत के खिलाफ दिया गया बयान चीन के उकसावे पर है या फिर इसके पीछे है दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन ISIS का कोई बड़ा गेम प्लान है..इसी की पड़ताल
इन दिनों मालदीव बनाम लक्षद्वीप की लड़ाई सुर्खियों में बनी हुई है….हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया था… जिसकी दिलकश तस्वीरें आप सभी ने देखीं होगीं….. पीएम मोदी ने देश की बेहतरीन जगहों को एक्स्प्लोर करने के लिए भी भारत की जनता से कहा था….. प्रधानमंत्री के लक्षद्वीप जाने के बाद फोटो पोस्ट करना, लक्षद्वीप की सुंदरता की देशभर में चर्चा शुरू होने के बाद मामला मालदीव तक पहुंचा…जिसके बाद मालदीव को ऐसी मिर्ची लगी कि उसके मंत्रियों ने भारत के बारे में भला-बुरा कहने के साथ ही पीएम मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणी तक कर दी
मालदीव को अपने देश की खूबसूरती पर गुमान भी है. तभी तो जब प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप गए, वहां स्नॉर्किंग की और सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की खूबसूरती का जिक्र करते हुए उसे और बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर डेवलप करने की बात की तो मालदीव को मिर्ची लग गई. मालदीव के मंत्रियों ने लक्षद्वीप के बहाने पहले प्रधानमंत्री और फिर पूरे भारत को ही लपेट लिया और उल्टी-सीधी बयानबाजी करने लगे.
नतीजा ये हुआ कि भारत ने पलटवार किया. वैसे ये पलटवार सरकार ने नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर बैठे लोगों ने किया, जिन्होंने बायकॉट मालदीव ट्रेंड करवा दिया…. इसके बाद टूरिज्म की एक वेबसाइट ने मालदीव की सारी फ्लाइट और होटल बुकिंग कैंसल कर दी…. फिर भारत के सेलिब्रिटी भी देश के पक्ष में खड़े हो गए…. सोशल मीडिया पर अमिताभ बच्चन से लेकर अक्षय कुमार और वीरेंद्र सहवाग ने टिप्पणी की तो सरकार की ओर से भारतीय उच्चायोग ने मालदीव सरकार से आपत्ति दर्ज करवाई….
पर्यटन में नुकसान के साथ ही कूटनीति में खुद को घिरता देख मालदीव घुटने पर आ गया… मालदीव ने बयान जारी कर सफाई दी..इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाली
इस मामले में मालदीव को अपने ही घर में भी विरोध का सामना करना पड़ा, जिसमें मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद
पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने अपनी ही सरकार को नसीहत दे दी.
मालदीव की सरकार ने खुद को अपने मंत्रियों के बयानों से अलग करके भारत के साथ रिश्ते सुधारने की भी कोशिश की, लेकिन मालदीव जैसे देश का भारत के खिलाफ दिया बयान यहां के आम लोगों को इतना अखरा है कि वो अब मालदीव को बख्शने के मूड में नहीं हैं…. और इसका नुकसान किसी और को नहीं सिर्फ मालदीव्स को ही उठाना पड़ेगा…क्योंकि भारत से हर साल 2 लाख से भी ज्यादा लोग मालदीव घूमने जाते हैं…. लेकिन अब लोग मालदीव्स की टिकट कैंसल करवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं कि उनके पास लक्षद्वीप के रूप में अपना मालदीव है… तो दूसरे देश जाने की जरूरत ही क्या है….
शायद मालदीव ये बात भूल गया है कि जब जब मालदीव पर मुसीबत आई है तो भारत सबसे पहले मददगार बना है
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से… HDR
ऑपरेशन कैक्टस भारतीय सेना ने 3 नवंबर 1988 को मालदीव में तख्तापलट रोकने के लिए चलाया था
2004 की सुनामी और 2014 के जल संकट में भारत ने ही मालदीव को सबसे पहले मदद पहुंचाई
2018 में ही भारत ने मालदीव को 140 करोड़ डॉलर का आर्थिक सहयोग दिया
2018 से 2022 में मालदीव से 87 हजार लोग भारत में इलाज कराने आए जो 5.15 लाख आबादी वाले देश का एक बड़ा हिस्सा है 2020 में भारत ने मालदीव को चेचक के 30 हजार टीके मुहैया करवाए
कोरोना काल में वैक्सीन से लेकर आवश्यक स्वास्थ सुविधाएं भी दीं
2023 में खेलों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने मालदीव को चार करोड़ डॉलर मुहैया करवाए
मालदीव दशकों से भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी रहा है.लेकिन मालदीव में चीन समर्थित सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ रिश्तों में काफी तनाव आ गया है..और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर मालदीव के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया है..