सुप्रीम कोर्ट में आम जनता के कल्याण के लिए याचिका दायर की है,इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त (CIC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र चयन सभा के निर्माण करने की मांग की है तो वही कोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बने नए कानून को चुनौती दी गई है. इस मामले में 12 जनवरी को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी
आम जनता के कल्याण के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट में शामिल याचिका में चुनाव प्रतिनिधि को चुनना और नियुक्ति पर संसद द्वारा पास किए गए प्रस्ताव में सुधार पर रोक लगाने की मांग की है. इसी के साथ याचिकाकर्ता ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए चयन मंडल में देश के चीफ जस्टिस को भी शामिल करने की गुहार लगाई गई है
इस आवेदन में यह भी कहा गया है कि देश में चुनाव में पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पैनल में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी शामिल किए जाए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य दोनों निर्वाचन आयुक्ति की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ चीफ जस्टिस को भी शामिल किया जाएगा.
कोर्ट के फैसले को सरकार ने बदला
आपको बता दें कि 21 दिसंबर को लोकसभा ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को सुनिश्चित करने के लिए एक बिल पास किया गया था. जिस पर कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा था कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया है.जिसके बाद 28 दिसंबर को राष्ट्रपति ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त बिल 2023 को मंजूरी दे दी.
कानून में परिवर्तन के बाद मुख्य चुनाव संयुक्त और चुनावी आयुक्त की नियुक्ति के नाम सूची,से मुख्य न्यायधीश को हटाकर, उनकी जगह प्रधानमंत्री द्वारा चुने हुए सदस्य को ही शामिल किया गया है…