युवाओं के जोश और बुजुर्गों के हौसले को बड़ी संख्या में महिलाओं का साथ मिल रहा है। वह लगातार मोर्चे पर डटी हैं। कुछ महिलाएं बच्चों को भी साथ ले आईं हैं। वहीं, झड़प में घायल किसान इलाज करवाकर वापस मोर्चे में शामिल हो रहे हैं।
पटियाला के शंभू बाॅर्डर पर शनिवार को केंद्र से चौथे दौर की बैठक से पहले माहौल शांतिपूर्ण बना रहा। बड़ी संख्या में महिलाओं का युवाओं के जोश और बुजुर्गों के हौसले को साथ मिल रहा है। वह लगातार मोर्चे पर अड़ी हैं। कुछ महिलाएं अपने बच्चों को भी आंदोलन में साथ ले आईं हैं। वहीं, झड़प में घायल किसान अपना इलाज करवाकर वापस मोर्चे में शामिल हो रहे हैं।
किसानों का कहना है कि अगर बैठक में मांगों का लेकर हल निकल गया तो ठीक है, वरना हम मोर्चा विजयी करके ही अपने घरों को लौटेंगे। उधर, किसानों की बाॅर्डर पर लगातार गिनती बढ़ती जा रही है। बॉर्डर से करीब 5 किलोमीटर पहले तक सड़क पर हजारों ट्रैक्टर-ट्रालियों है। इनकी संख्या करीब सात हजार बताई जा रही है।
इस मोर्चे में केवल पंजाब के ही नहीं, बल्कि राजस्थान और हरियाणा के भी किसान शामिल होने लगे हैं। बॉर्डर के नजदीक पंजाब पुलिस का कोई भी पुलिसकर्मी तैनात नहीं दिख रहा है ।कुछ नौजवान शुक्रवार को रस्सी को फांदकर आगे की तरफ चले गए थे। जिसके बाद हरियाणा की तरफ से वहां पर काफी मात्रा में आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे।
किसानों ने अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों को मॉडीफाई करवाकर इसे अस्थायी रूप से ठहराव बना रखा है। इनमें राशन से लेकर सब्जियां, गद्दे, कंबल व अन्य जरूरत का सामान है। किसानों का कहना है कि अगर पहले किसानी आंदोलन में मोदी सरकार से लिखित रूप से मांगों को लेकर वादा ले लिया होता, तो आज हम सबको दूसरी बार संघर्ष करने की जरूरत नहीं पड़ती।
किसानों के मोर्चे की एक खास बात यह है कि किसानों के हक में बॉर्डर के आसपास लगते गांवों के लोग व गुरुद्वारों से कमेटियां दूध से लेकर सब्जी रोटी, लस्सी, मिठाई, फल व पानी का लंगर लेकर रोज पहुंच रहे हैं।