तनिशा भारद्वाज
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
भारतीय संस्कृति में Navratri का आगाज़ हो चुका है, जो धार्मिक उत्सव से लेकर सांस्कृतिक महापर्व तक विस्तृत है। यह उत्सव नववर्ष के आगमन का प्रतीक है और माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना के रूप में मनाया जाता है. Navratri के दौरान भक्तों ने मंदिरों में भगवानी की पूजा की शुरुआत कर दी है। माता की आराधना में भक्तों ने नौ दिनों तक उपवास का पालन कर रहे हैं.
Navratri के उत्सव में रात्रि में धार्मिक कीर्तनों और भजनों के साथ-साथ रात्रि जागरणों का भी आयोजन किया जाता है. Navratri को सांस्कृतिक महत्व दिया जाता है, जिसमें लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को महसूस करते हैं। राज्यों और नगरों में रामलीला और दुर्गा पूजन के विभिन्न आयोजन होते हैं, जिनमें स्थानीय कलाकारों और संगठनों का सहयोग होता है। Navratri के उत्सव के दौरान लोगों के आदर्श भक्ति, सांस्कृतिक जीवनशैली, और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, यह उत्सव आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. हमारे देश में अलग अलग देवी की पूजा की जाती है इनमे से एक देवी है उत्तराखंड की चार धाम की रक्षक धारी देवी।
उत्तराखंड की Dhari Devi प्राचीन एवं महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह स्थान गंगा नदी के किनारे स्थित है और गंगोत्री से करीब है। Dhari Devi का मंदिर धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और मानसिक शांति का अनुभव करने के लिए लोग यात्रा करते हैं। Dhari Devi के मंदिर के आसपास का प्राकृतिक वातावरण अद्वितीय है और यहाँ की वातावरणिक सौंदर्यता दर्शनीय है।
मंदिर के साथ ही, यहाँ का प्रसिद्ध त्योहार भी लोगों को आकर्षित करता है। महानवमी त्योहार पर Dhari Devi temple में श्रद्धालुओं की भीड़ आती है और Dhari Devi की पूजा-अर्चना होती है। इस त्योहार के दौरान मंदिर में धारी देवी के दर्शन का विशेष महत्व होता है। धरी देवी एक शांतिपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक माहौल पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है और इसे एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान बनाता है.