न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
आतिफा शेख
LOK Sabha Election 2024: लोकतंत्र का सबसे बड़ा परब 19 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है लोकसभा चुनाव के पहले चरण के प्रचार के दौरान आखिरी दिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने गाजियाबाद में एक साथ प्रेस कांफ्रेंस की है – मीडिया के साथ दोनों नेताओं की बातचीत में जो कुछ भी नजर आया, असल में वही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन की मजबूती और कमजोरी का असली सच है।
आखिरकार राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ लोगों के सामने आये लेकिन प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से। क्या दोनों नेताओं को रामनवमी का इंतजार था?
उत्तर प्रदेश में राम मंदिर को लेकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बना है। राम नवमी के मौके पर सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि देश भर में लोगों को रामलला पर सूर्य तिलक का बेसब्री से इंतजार रहा – और राहुल गांधी ने अखिलेश यादव के साथ अपनी प्रेस कांफ्रेंस उससे पहले ही खत्म कर दी राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों ही नेताओं ने लोगों को राम नवमी की शुभकामनाएं दी है.
लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के जो समर्थक साथ छोड़ कर बीजेपी के पक्ष में जा चुके हैं,उनको ऐसा करके वे वापस अपनी तरफ खींच पाने में सफल हो पाएंगे, ये एक बड़ा सवाल है।
राम मंदिर के उद्धाटन समारोह का राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों ने बीजेपी का इवेंट बताकर बहिष्कार किया था। लेकिन सनातन के मुद्दे पर बीजेपी के हमलों के काउंटर में दोनों नेता राम नवमी के मौके पर एक साथ सामने आये हैं। लेकिन महत्वपूर्ण ये है कि लोगों पर ये साथ कितना असर छोड़ पाता है।
असल में राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करती है। लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की तरफ से लोगों को ऐसे संदेश नहीं मिल पाते जो बीजेपी के प्रभाव को खत्म कर सकें।
कांग्रेस पर बीजेपी जहां राम मंदिर को लेकर अदालत में रोड़े अटकाने का आरोप लगाती है। वहीं, समाजवादी पार्टी का नाम लेकर मुलायम सिंह यादव की बातें याद दिलाना नहीं भूलती कि कैसे वो कार सेवकों पर गोली चलवाये थे। यूपी में ये मुद्दा ऐसे ही बना हुआ है, जैसे बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी जंगलराज की याद दिलाना नहीं भूलते। भले ही अपनी सरकार के काम क्यों न गिनाते रहे हों।
प्रेस कांफ्रेंस संयुक्त रूप से बुलाई गई थी, लेकिन वहां राहुल गांधी और कांग्रेस का दबदबा ज्यादा दिखा। जयराम रमेश जोर देकर कह रहे थे कि अखिलेश यादव से सवाल पूछे जायें – क्या ये सवाल इसीलिए उठ रहे हैं क्योंकि दोनों देर से भी एक साथ सबके सामने आये हैं?
राहुल गांधी से अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने के अलावा गाजियाबाद की प्रेस कांफ्रेंस में एक और महत्वपूर्ण सवाल पूछा गया। कांग्रेस
को यूपी में 17 सीटें ही क्यों मिलीं? क्या यूपी में कांग्रेस या INDIA गठबंधन कमजोर है?
जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि INDIA गठबंधन बिल्कुल खुले दिमाग के साथ चुनाव लड़ेगा, इसलिए हमने दिल खोलकर सीटें शेयर की है।
जब राहुल गांधी अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने का सवाल पूछा गया तो वो इसे बीजेपी का सवाल बता दिये। हाल फिलहाल देखने को मिला है कि जब राहुल गांधी के लिए सवाल मुश्किल होता है तो वो इसी अंदाज में टालने की कोशिश करते हैं। हो सकता है, उनके सलाहकारों ने समझाया हो कि मीडिया को कठघरे में खड़ा करके वो सवालों से आसानी से बच सकते हैं।
क्या आप अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं?
राहुल गांधी का कहना था, मैं चुनाव लड़ने या न लड़ने की बात कह ही नहीं रहा… ये CEC का फैसला होता है। वो इस बारे में जो फैसला लेगी, माना जाएगा। जवाब से तो ऐसा ही लगता है जैसे राहुल गांधी ने अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने से इनकार नहीं किया है।
समझा जाता है कि पहले चरण के चुनाव के बाद कांग्रेस की तरफ से अमेठी और रायबरेली के लिए भी उम्मीदवार घोषित कर दिये जाएंगे।
ध्यान देने वाली बात ये है कि राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन को लेकर जो जवाब दिया, उसमें पहली बार क्षेत्रीय दलों की आइडियोलॉजी का जिक्र है। वरना, अभी तक तो वो कांग्रेस और बीजेपी के अलावा देश में किसी भी क्षेत्रीय दल की आइडियोलॉजी को मानते ही नहीं थे।
राहुल गांधी ने बताया कि जो कांग्रेस का मैनिफेस्टो है, वो भी सिर्फ कांग्रेस का नहीं है। बल्कि, कांग्रेस का मैनिफेस्टो भी INDIA गठबंधन के बाकी दलों की आइडियोलॉजी का मैनिफेस्टो है।
अब तक तो राहुल गांधी यही कहते रहे कि क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के साथ आना होगा। क्योंकि, उनके पास कोई अपनी आइडियोलॉजी नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वो समाजवादी पार्टी का नाम लेकर इस बात की मिसाल भी दे रहे थे। लेकिन यूपी में कांग्रेस के कमजोर होने की बात पर राहुल गांधी ने काफी गंभीर होकर बताया, हमारा ज्वाइंटली काम होता है हम फ्लेक्सिबिलिटी दिखाते हैं।