न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
Chabahar Port: भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) को लेकर हुई डील से अमेरिका बैखला गया है अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत का नाम लिए बिना धमकी दी है और कहा ‘कोई भी’ जो ईरान के साथ बिजनेस करने पर विचार कर रहा है। और जो देश ईरान के साथ बिजनेस कर रहे हैं, उन्हें ‘प्रतिबंधों के संभावित खतरे’ के प्रति जागरुक रहना चाहिए। आपको बता दें कि भारत-ईरान ने चाबहार स्थिति शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, Chabahar Port ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है .इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं इस बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी, ऐसे में ईरान के साथ समझौता किए बिना इस काम को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, जिसमें अमेरिका प्रतिबंध लगाने की धमकी देकर, इस प्रोजेक्ट को अटकाना चाह रहा है.
अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने की दी धमकी
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने कहा है कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाए जाने का खतरा है. उसने यह भी कहा कि वह जानता है कि ईरान और भारत ने Chabahar Port से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम इन खबरों से परिचित हैं कि ईरान और भारत ने Chabahar Port से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मैं चाहूंगा कि भारत सरकार Chabahar Port और ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों पर बात करें.
क्या चाहता है अमेरिका
ईरान के साथ चल रहे तनाव और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने के बाद अमेरिका के सुर बदल गए हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत और तालिबानी सरकार से दूरी बनाए। वहीं भारत ने अमेरिका की हर भात को अनसुनी करते हुए अफगानिस्तान में राजनयिकों को फिर से तैनात किया है। यही नहीं तालिबान ने चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। दरअसल, तालिबान सरकार पाकिस्तान के कराची पोर्ट से अपनी निर्भरता को खत्म करना चाहता है, इन सबसे अमेरिका खफा है और वह पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए है जिसमें टीटीपी आतंकियों को लेकर सहयोग का ऐलान किया है। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी आतंकियों को तालिबानी शरण दे रहे हैं।
चाबहार में 12 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी आईपीजीएल
Chabahar Port के लिए आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर निवेश करेगा, जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी. यह पहला मौका है, जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा. इरादा Chabahar Port को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) से जोड़ने का है, जिससे भारत से ईरान के रास्ते रूस तक मार्ग तैयार किया जा सके। यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान से बचते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
विदेश मंत्री (एस.जयशंकर) ने क्या कहा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को मुंबई में एक ब्रीफिंग मे सौदे के बारे में आशावाद व्यक्त करते हुए कहा कि यह बंदरगाह में बड़े निवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा और भारत को मध्य एशिया से जोड़ेगा।
उन्होने कहा यह समझौता एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक है और यह कराची के साथ-साथ पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाहों को दरकिनार करते हुए ईरान के माध्यम से दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच एक नया व्यापार मार्ग खोलेगा।