न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
ताइपे: China की आर्मी द्वारा दूसरे दिन यानि शुक्रवार को आयोजित एक बड़े अभ्यास के दौरान ताइवान ने अपने सीमी तट से दर्जनों चीनी युद्धक विमानों और नौसेना जहाजों को ट्रैक किया। ताइवान ने कहा कि उसके सीमी तट के पास China की सेना के दर्जनों चीनी युद्धक विमान और नौसैन्य पोत देखे गए। ताइवान रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उन्हे 49 युद्धक विमान और 19 नौसैन्य पोत और चीनी तट रक्षक जहाजों का भी पता चला है। 24 घंटे की अवधि में यानि बृहस्पतिवार से शुक्रवार तक 35 विमानों ने ताइवान सीमी में उड़ान भरी। यह दोनों देशों के बीच की वास्तविक सीमा है।
ताइवान के नए राष्ट्रपति ने कहा
ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने बृहस्पतिवार को एक समुद्री अड्डे का दौरा किया और नाविकों तथा शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों से कहा, ‘‘हम बाहरी चुनौतियों और खतरों का सामना कर रहे हैं। हम स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखेंगे।’’
‘ताइवान स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र है’
इससे पहले राष्ट्रपति ने सोमवार को अपने उद्घाटन भाषण में कहा था कि ताइवान ‘‘एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र है जिसमें संप्रभुता लोगों के हाथों में है।’’ साथ ही उन्होंने बीजिंग से अपनी सैन्य धमकी को विराम लगाने को कहा था। वहीं China की सेना ने कहा कि ताइवान के आसपास उसका दो दिवसीय अभ्यास चल रहा है, यह स्वतंत्रता चाहने वाली अलगाववादी ताकतों के लिए सजा के समान है।
‘ताइवान China तंत्र और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा
ताइवान पूर्व में China का हिस्सा था। यह चीनी तंत्र और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसके बाद, जापान ने 19वीं सदी में इसे अपने अधीन किया, और 20वीं सदी के प्रारंभ में अधिकांश भाग के रूप में इसे अपना शासन स्थापित किया। 1945 में, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, ताइवान को पुनः चीनी स्वायत्तता का हिस्सा बनाया गया। लेकिन, China के ग्रामीण सरकार के पतन के बाद, ताइवान ने अपना स्वतंत्र राजनीतिक और आर्थिक अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाया है।
China में ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता चेन बिनहुआ ने बृहस्पतिवार रात एक बयान में कहा, ‘‘ताइवान के नेता ने पदभार संभालते ही एक-China सिद्धांत को चुनौती दी।’’ ‘China के सिद्धांतों’ के अनुसार China सिर्फ एक देश है और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन के तहत ताइवान भी China का ही हिस्सा है। China का मानना है कि अलग हुए ताइवान को मुख्य भूमि से जोड़ा जाना चाहिए भले ही इसके लिए ताकत का इस्तेमाल करना पड़े ।