न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
Floret (RLV LEX 03): एक बार फिर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने कमाल कर दिया है। ISRO की रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ‘पुष्पक’ की लगातार आज तीसरी बार सफल लैंडिंग हुई है। जी हां आज पुष्पक(Floret) की लैंडिंग को लेकर ये फाइनल टेस्टिंग थी, जिसमे वो कामयाब हो गयी है। इस बात की जानकारी खुद ISRO ने शेयर की है। ISRO ने बताया कि अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में RLV की लैंडिंग कराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया गया।
दरअसल आज ISRO ने RLV LEX 03 का ये फाइनल टेस्ट सुबह 7.10 बजे किया जिसमे वो सफल हुई। जानकारी के लिए बता दें, कर्नाटक के चित्रदुर्ग में RLV LEX 03 जिसे ‘पुष्पक’ नाम दिया गया है, उसकी सफल लैंडिंग पर पूरा भारत खुश है। ‘पुष्पक’ ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उन्नत स्वायत्त क्षमताओं का प्रदर्शन किया। ‘पुष्पक’ ने बेहद सटीक होरिजेंटल लैंडिंग को अंजाम दिया।
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— ISRO (@isro) June 23, 2024
इस बात की जानकारी देते हुए ISRO ने कहा कि इससे पहले हमारा RLV LEX-01, RLV LEX-02 मिशन भी सक्सेसफुल रहा था। जिसके बाद अगली चुनौती को पूरा करने के लिए RLV LEX-03 को ज्यादा चुनौतियों के साथ तैयार किया गया। बता दें, हवा तेज थी और ‘पुष्पक’ (RLV LEX-03) को रनवे से 4.5 किलोमीटर दूर, 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया था। ‘पुष्पक’ ने बड़ी ही कुशलता से हवा में अपना रास्ता खुद बनाया और रनवे पर उतर गया।
RLV LEX-03 की रफ़्तार लड़ाकू विमान से है तेज
‘पुष्पक’ (RLV LEX-03) की रफ्तार किसी आम हवाई जहाज या लड़ाकू विमान से कहीं ज्यादा अधिक है। आज 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उतरने के बाद ब्रेक पैराशूट की मदद से इसकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक लायी गई। इसके बाद इसके पहियों के ब्रेक ने काम किया और यह पूरी तरह से रुक गया। जमीन पर चलते हुए ‘पुष्पक’ ने अपने आप ही संतुलन बनाए रखा और रनवे पर सीधा चलता रहा। जिससे ये सफलता हाथ लगी।

RLV LEX-03 को लेकर ISRO ने बताया कि यह मिशन दिखाता है कि भविष्य में अंतरिक्ष से लौटने वाले यान कैसे उतरेंगे। तो वहीं ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने टीम को इस कामयाबी पर बधाई दी। वीएसएससी के निदेशक डॉ एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि, यह सतत सफलता भविष्य के कक्षीय पुन: प्रवेश मिशनों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण तकनीकों में ISRO के विश्वास को बढ़ाती है।
RLV LEX-03 क्यों है खास
RLV LEX-03 बेहद खास है क्यों कि, इसमें इस्तेमाल हुए ‘पुष्पक’ और उसके उपकरण RLV LEX-02 मिशन वाले ही थे। यानी कि ISRO ने एक ही चीज का बार-बार इस्तेमाल करके काफी पैसे बचाया है। इस मिशन में ISRO ने कई तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया जैसे कि जड़त्वीय सेंसर, रडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डेटा सिस्टम, स्यूडोलाइट सिस्टम और NavIC।