22 जनवरी को अयोध्या में हो रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समारोह की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है तो वही सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक गली मोहल्ले और चाय पानी की दुकानों पर भी इसी की चर्चाएं चल रही है तो दूसरी तरफ राम मंदिर को लेकर हर जगह राजनीति देखने को मिल रहा है जहा समाजवादी पार्टी और लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल मंदिर के खिलाफ़ दीवार बनकर खड़े हैं तो वही कांग्रेस पार्टी भी इनके साथ दिख रही है ।
जिस तरह मुलायम सिंह यादव अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने की दिन को याद दिलाना , लालू यादव बिहार में बीजेपी के नेता लालकृष्ण आडवाणी को भी गिरफ्तार करवाने की जिक्र ,कांग्रेस में राजीव गांधी सरकार द्वारा राम मंदिर का ताला खुलवाना, तो कभी प्रियंका गांधी वाड्रा राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कर सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखना और कभी राहुल गांधी अयोध्या और राम मंदिर के बहाने भाजपा पर निशान साधने की कोशिश करते रहना । ऐसे में निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए अयोध्या मसले पर कोई भी निर्णय लेना बहुत ही मुश्किल है।
राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ममता बनर्जी का एहसानमंद होना चाहिए जैसे कांग्रेस नेता ने आगे आकर अपने लिए स्टैंड लिया और राम मंदिर कार्यक्रम में जाने से साफ मना कर दिया वैसे ही स्पष्ट रूप से कांग्रेस को अपना पक्ष तय करना थोड़ा मुश्किल होगा।
तो वहीं अब INDIA ब्लॉक के लगभग सभी सदस्यों ने राम मंदिर को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है लेकिन दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी की ओर से अभी यही कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल को अभी तक राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता नहीं मिला है।
INDIA ब्लॉक में अब तक नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल ही कमजोर नजर आ रहे हैं बाकी सभी नेताओं ने अपना दुख साफ कर दिया है बीजेपी के अयोध्या राम मंदिर के खिलाफ सभी विपक्षी नेताओं की एक ही राय है ऐसे में उन सभी नेताओं को एक जुट मान जा रहा है। अयोध्या लेकर INDIA ब्लॉक की ओर से बीजेपी द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है की विपक्ष को घेरने के लिए किस तरफ सत्ता पक्ष की ओर से सनातन जैसे हथियार का इस्तेमाल किया जा रहा है.