मुनव्वर राना एक ऐसा शायर जो लोगो के दिल को छू जाते है जिहा ये उर्दू के उन शायरों में से एक हैं जिन्होंने अपनी शायरी, ग़ज़ल, नज़्म और कविताओं से हर किसी के दिल को छुआ लिया है आपको बता दे मुनव्वर राणा मू उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले थे इनका जन्म 26 नवंबर 1952 में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था बता दे की उनकी मां पर लिखे शेरो शायरी खूब पढ़े और सुने जाते हैं.. ना जाने उन्होंने कितनी सारी शायरियो को उन्होंने अपने कलम के जरिये कागज के पन्नो पर दर्शाया है आइये देखते है उनके लिखे कुछ शायरी
आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया
मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया
आओ तुम्हें दिखाते हैं अंजामे-ज़िंदगी
सिक्का ये कह के रेल की पटरी पे रख दिया
फिर भी न दूर हो सकी आँखों से बेवगी
मेंहदी ने सारा ख़ून हथेली पे रख दिया
दुनिया क्या ख़बर इसे कहते हैं शायरी
मैंने शकर के दाने को चींटी पे रख दिया
अंदर की टूट -फूट छिपाने के वास्ते
जलते हुए चराग़ को खिड़की पे रख दिया
घर की ज़रूरतों के लिए अपनी उम्र को
बच्चे ने कारख़ाने की चिमनी पे रख दिया
पिछला निशान जलने का मौजूद था तो फिर
क्यों हमने हाथ जलते अँगीठी पे रख दिया
आपको बता दे मशहूर शायर मुनव्वर राणा का कल यानि रविवार की देर रात को निधन हो गया. जानकारी के अनुसार यह पता चला है की वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. जहा उन्होंने 71 साल की उम्र में लखनऊ के पीजीआई में अंतिम सांस ली | मौत की खबर सुनते ही रायबरेली में शोक की लहर है मुनव्वर राना बेटेतबरेज ने बताया कि इनके पिता काफी सयम से बीमार होने के कारण उन्हें 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे। पहले उन्हें लखनऊ के मेदांतामें भर्ती कराया गया था और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया जहा उनका निधन हो गया |