विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ब्लॉक में लोक सभा चुनाव के पहले ही दरार पड़ गई है. जहा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुलकर ‘एकला चलो’ का ऐलान कर दिया है तो वही अब पंजाब में भी आम आदमी पार्टी के नेताओं के भी तेवरों में कड़वाहट देखने को मिला है.और अब बिहार में भी जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के बयानों से INDIA गठबंधन की राजनीति पर नए सिरे से बहस शुरू हो चुकी है. जहा यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि वो अपने ही शर्तों पर ही गठबंधन में आगे बढ़ेंगे. इन राज्यों में लोकसभा चुनाव के सीटों के शेयरिंग को लेकर विवाद है और क्षेत्रीय दलों के निशाने पर कांग्रेस है. हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा. फिलहाल, INDIA अलायंस की चौथी बैठक के एक महीने बाद भी कोई सुलह नहीं बन सकी है.
आपको बता दे INDIA अलायंस हालात ये हैं कि एक को मनाओ तो दूसरा दल या नेता रूठ जाये है. जहा अब INDIA गठबंधन की गांठ सुलझने की बजाय और उलझती जा रही है. INDIA अलायंस में कुल 28 पार्टियां शामिल हैं.जहा अब पश्चिम बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस आमने-सामने हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी के बाद बुधवार को ममता बनर्जी ने यह ऐलान कर दिया है कि वो आने वाले लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी.मतलब राज्य की 42 सीटों पर TMC अपने उम्मीदवार उतारेगी. बंगाल में INDIA अलायंस के सहयोगियों में कांग्रेस, टीएमसी और सीपीएम शामिल हैं. ममता का कहना था कि कांग्रेस ने सीट शेयरिंग का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. जहा अब ममता बनर्जी ने बंगाल में कांग्रेस को दो सीटों से ज्यादा सेट देने के लिए तैयार नहीं हैं. तो वही कांग्रेस इनसे 10 से 12 सीटो की मांग रही है. कांग्रेस,लेफ्ट को साथ रखना चाहती है, जबकि ममता तैयार नहीं हैं. ममता के इस बयान के बाद गठबंधन की सियासत भी कड़वाहट आ गई है.
ऐसे ही कुछ हालात पंजाब में बन रहे हैं. वहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने हैं. दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता नहीं चाहते हैं कि प्रदेश में . INDIA अलायंस में आकर चुनाव लड़ा जाए. दोनों दल अपने संगठन को मजबूत मानकर चल रहे हैं. यही वजह है कि पंजाब के मुख्यमंत्री और AAP नेता भगवंत मान कई बार कांग्रेस को निशाने पर ले चुके हैं. यहां तक कि उन्होंने AAP हाईकमान को भी अकेले चुनाव लड़ने का फॉर्मूला भी दे दिया है.तो वही भगवंत मान का कहना है कि लोग सभा चुनाव में AAP सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीतकर दिखाएगी. हलाकि, दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग पर बातचीत चल रही है. जहा अब अंतिम फैसला AAP और कांग्रेस हाईकमान को ही लेना है
इसी तरह, दिल्ली में AAP और कांग्रेस के बीच भी कड़वाहट नजर आ रही है. और अब दिल्ली में भी AAP समूह का मानना है कि राज्य में उसकी सरकार है और अब संगठन भी मजबूत हो गया है. ऐसे में INDIA अलायंस में सहयोगी कांग्रेस को छोटे भाई की तरह अहमियत दिया जाए. AAP नेता कांग्रेस से गुजरात, हरियाणा और गोवा में भी सीटो की मांग रहे हैं. इन तीनों राज्यों में कांग्रेस अकेले ही चुनाव लड़ते आ रही है. AAP का फॉर्मूला भी यही है कि कांग्रेस इन तीन राज्यों में सीटें बांटती है तो वो दिल्ली और पंजाब में गठबंधन में चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
वहीं, यूपी में भी अखिलेश यादव का अपना अलग रुख है. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा में अलायंस हुआ था और सपा ने सिर्फ पांच सीटों पर ही जीत हासिल की थी. कांग्रेस को रायबरेली में भी एक सीट से जीत हासिल हुई थी. तो वही इस बार आम चुनाव में सपा इंडिया ब्लॉक में 65 सीटों की डिमांड कर रही है. जहा अब कांग्रेस भी 25 सीटों की मांग कर रही है. फिलहाल, 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में गठबंधन किस फॉर्मूले पर जाएगा, यह अब तक सामने नहीं आ पाया है. इससे पहले सपा ने आरएलडी के साथ अलायंस का ऐलान कर दिया है. जहा अब ये खबर सामने आ रही है कि सपा की कोशिश है कि कांग्रेस और आरएलडी को 15 सीटों पर मना लिया जाए. जबकि यूपी कांग्रेस के नेता सपा के बराबर सीटें चाहते हैं. जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) भी 7 से 8 सीटों के लिए दावेदारी कर रही है. 2019 में आरएलडी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था.
बिहार से भी यह संकेत मिल रहे हैं कि अलायंस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. हाल में जदयू प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बदले हुए तेवर इंडिया गठबंधन की टेंशन बढ़ा रही हैं. पिछले कुछ दिन से लगातार यह चर्चा हो रही है कि नीतीश कुमार पर जेडीयू नेताओं का दबाव बढ़ रहा है और महागठबंधन छोड़ने के लिए वाद-विवाद हो रहे हैं. अगर यह सच हुआ तो अलायंस को अपना अगुवाकार गवाना पड़ सकता है. दूसरी सबसे बड़ी वजह जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के फैसले से नीतीश कुमार बेहद खुश नजर आ रहे हैं जहा वो खुलकर केंद्र सरकार की तारीफ कर रहे हैं और साथ ही पीएम मोदी को धन्यवाद भी रहे है.
इतना ही नहीं, बुधवार को जब कर्पूरी ठाकुर का जयंती समारोह मनाया जा रहा था, तब नीतीश के दिए हुए दो बयान अचानक चर्चा में आ गए . नीतीश ने कांग्रेस पर सवाल खड़ा कर दिया और कहा, कांग्रेस भी सरकार में रही, लेकिन ये फैसला नहीं लिया. सवाल उठाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया. नीतीश का कहना था कि हम लंबे अरसे से मांग करते रहे. कांग्रेस भी सरकार में रही. दूसरे लोग भी रहे, लेकिन भारत रत्न नहीं दिया. अब इन्होंने दिया, धन्यवाद है.’ नीतीश ने परिवारवाद पर तंज कसा. इसे राजद से भी जोड़कर देखा गया. नीतीश का कहना था कि कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया. आजकल लोग अपने परिवार को आगे बढ़ा रहे हैं. कर्पूरी ठाकुर के नहीं रहने के बाद उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को हमने बनाया. हमने भी कर्पूरीजी से सीखकर परिवार में किसी को नहीं बढ़ाया. हम हमेशा दूसरे को बढ़ाते हैं.
चूंकि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार को सरप्राइजिंग लीडर के तौर पर जाना जाता है. नीतीश कुमार कब, क्या फैसला लेते हैं, इस बात की किसी को भनक भी नहीं लगने देते हैं. हाल ही में उन्होंने ललन सिंह की जगह पार्टी की कमान भी संभाली है. बिहार में पिछले कुछ दिनों से जदयू में निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं में निराशा की बातें चल रही हैं. ऐसे में नीतीश कुमार के सियासी कदम पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं. इससे पहले कांग्रेस ने यह घोषणा किया था कि 30 जनवरी को नीतीश, राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा लेंगे. बाद में जदयू ने यह साफ किया है कि हमें ऐसा कोई न्योता नहीं दिया गया है. जहा अब नीतीश के जाने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है.
ममता की नाराजगी के विपक्षी दलों के अलायंस ने उम्मीद नहीं खोई है. इंडिया ब्लॉक के नेताओं का कहना है कि बातचीत से मसला सुलझा लेंगे और सभी राज्यों में मिलकर चुनाव लड़ेंगे. ममता के ऐलान के बाद कांग्रेस ठंडी पड़ गई है और डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, हम ममता बनर्जी के बिना इंडिया ब्लॉक की कल्पना नहीं कर सकते हैं. रास्ते में कभी-कभी स्पीड ब्रेकर आ जाते हैं , कभी-कभी हरी बत्ती आ जाती है. हमें पूरी उम्मीद है जो बातचीत चल रही है. INDIA ब्लॉक एकजुट होकर बंगाल में चुनाव लडे़गा. हमारा मुख्य उद्देश्य देश और बंगाल में बीजेपी को हराना है. हम इसी सोच के साथ बंगाल में प्रवेश करेंगे. उन्होंने कहा, ममता बनर्जी का पूरा बयान है कि हम बीजेपी को हराना चाहते हैं. ये एक लंबा सफर है. तृणमूल कांग्रेस INDIA गठबंधन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण आधार है कुछ ना कुछ रास्ता निकाला जाएगा.
‘विवादास्पद बयान देने से बचना चाहिए’..
इसी तरह AAP नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, टीएमसी पश्चिम बंगाल में एक बड़ी पार्टी है. कांग्रेस और वामपंथी हमेशा उनके खिलाफ लड़ते रहे हैं, इसलिए टीएमसी के साथ सीट साझा करना थोड़ा मुश्किल होगा. उनके बीच के मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे. ममता बनर्जी और राहुल गांधी इंडिया ब्लॉक की सफलता के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें उम्मीद है कि इंडिया ब्लॉक की सभी पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी. भारद्वाज ने कहा कि अधीर रंजन को विवादित बयान देने से बचना चाहिए. वे टीएमसी और ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ बयान देते रहते हैं.
‘उद्धव गुट ने ममता को शेरनी बताया’
वहीं, शिवसेना (उद्धव गुट) विधायक आदित्य ठाकरे ने ममता बनर्जी को शेरनी बताया और उनके फैसले को रणनीति का हिस्सा कहा है. आदित्य ने कहा, उन्होंने (ममता) जो कहा, उसे देखने के बाद मैं रिएक्ट करूंगा. लेकिन वो वहां शेरनी की तरह लड़ रही हैं. पश्चिम बंगाल की लड़ाई अहम है.
तो वही ,INDIA अलायंस में शामिल क्षेत्रीय दलों का कहना है कि हर नेताओं को अपने -अपने राज्यों में फैसला लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए. पिछले चुनाव के नतीजों के आधार पर सीट शेयरिंग की जाए. जहां भी जरूरत होगी, वहां कांग्रेस की मदद की जाएगी. लेकिन, कांग्रेस फॉर्मूले को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है. पहले पांच राज्यों के चुनाव की वजह से सीट शेयरिंग पर बात नहीं की गई. जिसके बाद दिसंबर 2023 मे नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो अलायंस की तरफ फिर से ध्यान दिया गया. लेकिन, बात सीट शेयरिंग पर ही अटकी है. उससे आगे नहीं बढ़ पा रही है. अभी भी कांग्रेस बड़ा दल होने के बावजूद बड़ा दिल नहीं दिखा रही है.