उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू कर दिया गया है . इसे लेकर धामी सरकार ने बिल पेश किया था . विधानसभा से पास होने और फिर राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून लागु हो गया है और वही आपको बता दे की यूसीसी के बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी नियम बनाए गए हैं।
चलिए पहले जानते है ucc क्या है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब होता है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून का होना. अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होंगे।
इसे लागु करना क्यों जरुरी है तो देखिये भारत एक राष्ट्र है और यहाँ सभी जाती धरम के लोग मौजूद है ,जो अपने अपने तरीको से अपने अपने नियमों का पालन करते है पर जब बात देश की आती है तो समानता का अधिकार आवस्य होना चाइये ताकि किसी को भेद भाव महसूस न हो और एक ही नियम सब लोग पालन करे। ucc भारत को एकीकृत यानि की एकता का भाव बनाये रखने में काफी मददगार साबित होगा क्यूंकि भारत कई धर्मों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं वाला देश है। समान नागरिक संहिता भारत को आजादी के बाद से अब तक की तुलना में अधिक एकीकृत करने में मदद करेगी। यह प्रत्येक भारतीय को, उसकी जाति, धर्म या जनजाति के बावजूद, एक राष्ट्रीय नागरिक आचार संहिता के तहत लाने में मदद करेगा।
अब सवाल यहाँ पर ये उठता है की भला इसका क्या नुक्सान हैं जो कुछ लोग इसका भरपूर विरोद्ध प्रदर्सन कर रहे है। दरअसल ucc बिल के अंदर कुछ नियम आते है जो ucc के लागु होने पर ,लागु किये जायेंगे। आइये जानते है वो सारे अधिनियम।
– समान नागरिक संहिता पर ड्राफ़्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है. इसमें क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैं. इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं. ख़बरों के मुताबिक, UCC के ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं.
– UCC विधेयक महिला अधिकारों पर केंद्रित है. इसमें बहु-विवाह पर रोक का प्रावधान है. लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है.
– समान नागरिक संहिता बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिये रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी कर दिया गया है. कानूनी विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे रिश्तों के पंजीकरण से पुरुषों और महिलाओं दोनों को फायदा होगा.
– बिल में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर ही विरासत का अधिकार देने का प्रस्ताव है. अभी तक कई धर्मों के पर्सनल लॉ में लड़कों और लड़कियों समान विरासत का अधिकार नहीं है.
– उत्तराखंड की 4% जनजातियों को क़ानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है. मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है.
– बिल में शादी का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी करने का प्रस्ताव रखा गया है. साथ ही शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
– बिल में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान करने का प्रस्ताव रखा गया है. मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव बिल में है.
– मुस्लिम समुदाय के भीतर हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्ताव बिल में रखा गया है इसलिए इस प्रथा का काफी विरोध होता रहा है.
– पति की मृत्यु पर पत्नी ने दोबारा शादी की, तो मुआवज़े में माता-पिता का भी हक़ होने का प्रस्ताव बिल में रखा गया है.
– पत्नी की मृत्यु होने पर उसके मां-बाप की ज़िम्मेदारी पति पर होगी. पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ, तो बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्ताव भी यूसीसी विधेयक में रखा गया है.
तो ये थे वो सारे अधिनियम जो ucc बिल के अंतरगर्त आते है। और इससे अभी तक सिर्फ उत्तराखंड सर्कार के द्वारा लागु करवाया गया है आपका इसपर क्या कहना है। क्या ये नियम पुरे देश में लागू होना चाहिए या नहीं आप हमें अपने विचार कमेण्ट करके कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।