जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ने धर्मांतरण पर कहा कि भारत की सबसे बड़ी समस्या धर्मांतरण है। मिशनरी अभावग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपना शिकार बनाती हैं और फिर ये लोग उन्हें वैसा ही छोड़ जाते हैं, हमे ऐसी साजिशों पर रोक लगानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को धर्म की शिक्षा दी जानी चाहिए।
हर स्कूल, हर बच्चे तक हिंदू और सनातन से जुड़ी धार्मिक शिक्षा पहुंच सके इसके लिए द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने धारा 30 और 30(ए) को हटाने की बात कही है। अल्प प्रवास पर कटनी पहुंचे द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए राम मंदिर, धर्मांतरण से लेकर स्कूलों में धार्मिक शिक्षा पढ़ाए जाने को लेकर मुद्दा उठाया है।
श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने को लेकर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उत्साह पूर्वक भगवान राम अयोध्या में विराजे हैं। अधिक भीड़ के कारण हम अयोध्या नहीं गए, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न फैले। उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्य एक हैं, सभी रामभक्त हैं और किसी भी प्रकार का कोई मदभेद नहीं है। यह सब दुष्प्रचार हिंदू धर्म विरोधियों, वामपंथियों और विदेशी शक्तियों द्वारा किया जा रहा है। हमें ऐस लोगों से बचकर रहना चाहिए।
स्वामी ने कहा कि संविधान हम सभी को एक साथ रहने की अनुमति देता है और शिक्षा का अधिकार भी देता है। जैसे दूसरे धर्माविलंभी अपने-अपने धर्म की शिक्षा देते हैं ऐसे ही हिंदुओं को स्कूलों और कॉलेजों में धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए। सनातन और हिंदू धर्माविलंभी की धार्मिक शिक्षा पर संविधान की धारा 30 और 30(ए) रोक लगाती है, हमें इसे संविधान से दूर करना चाहिए। जैसे स्कूलों में बच्चों को 40-40 मिनट के 6 विषय पढ़ाए जाते हैं, वैसे ही धर्म का विषय भी होना चाहिए।