न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ईडी की रिमांड पर हैं, जिसके बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) अब धीरे धीरे फ्रन्ट फुट पर आ रही हैं। वहीं शहीदी दिवस (Martyrs’ Day) के मौके पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन भी किया था।उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर विरोध प्रदर्शन किया। और इसमें पंजाब के सीएम भगवंत मान(Bhagwant Mann) सहित पार्टी के सभी बड़े नेता भी शामिल हुए।पर सवाल यहाँ पर ये उठता है, कि आखिर आम आदमी पार्टी की रणनीति क्या है? वही अगर दूसरी तरफ केजरीवाल लंबे समय तक जेल में रह गए तो फिर उनकी पार्टी कौन संभालेगा और सरकार कौन चलाएगा।
क्या जनता करेगी स्वीकार परिवारवाद ?
मिली जानकारी के मुताबिक कुछ महीनों तक तो केजरीवाल कस्टडी से फैसले ले सकते हैं, लेकिन फिर पार्टी में दिक्कत हो सकती है। वही लोगों का मानना है कि जैसे लालू यादव ने जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना दिया था, ठीक उसी तरह केजरीवाल भी करेंगे। लेकिन ये सियासत का खेल है और तब से लेकर आज तक में बहुत कुछ बदल गया है और आजकल की युवा पीढ़ी तुलनात्मक काफी समझदार हो गयी है , दिल्ली और पंजाब का वोटर वैसे भी बहुत जागरुक है, तो केजरीवाल ऐसा बिल्कुल नहीं करने वाले।
लेकिन ये भी तय है कि वे पार्टी में किसी और पर भी भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि राजनीति में कोई किसी का नहीं होता। इसलिए ये अटकले लगाई जा रही है की केजरीवाल भी लालू यादव के नक़्शे कदम पर चलकर अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री के पद पर बैठा सकते है
सुनीता केजरीवाल हुई मीडिया से रूबरू।
सीएम अरविन्द की पत्नी सुनीता केजरीवाल मीडिया से रूबरू हुई और एक वीडियो जारी पति का संदेश पढ़कर सुनाया। इस संदेश में सबसे अपील की गई है कि मंदिर जाकर उनके लिए प्रार्थना करें और दिल्ली की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये की सम्मान राशि जरूर मिलेगी,ये भी घोसणा की है।
क्या सुनीता केजरीवाल बनेंगी मुख्यमंत्री ?
वही देखा जाए तो 2024. का लोकसभा चुनाव काफी नजदीक आ गया गया है और इस मौके पर मोदी सरकार ने करप्शन के खिलाफ जंग छेड़ने का ऐलान किया है, उसमें केजरीवाल को ट्रैप कर लिया गया है। वही अगर पहले का समय देखे जब केजरीवाल राजनीती में आने के लिए काफी मशक्कत करते दिख रहे थे तब अन्ना हज़ारे उनके साथ होकर आंदोलन कर रहे थे और देखे तो अन्ना आंदोलन के जमाने से ही केजरीवाल ने करप्शन के खिलाफ मुहिम का ऐलान किया था। और इसी बुनियाद पर उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री पद प्राप्त हुआ था और अब तक केजरीवाल ईमानदारी का सबसे बड़ा चेहरा बने हुए थे, लेकिन ईडी ने जिस तरह शराब घोटाले में उनके खिलाफ सुबूत जुटाने का दावा किया है, उससे ये तो साफ़ है की उनकी छवि पर इसका गहरा असर पड़ा है।
इस वक़्त केजरीवाल ईडी की कस्टडी में हैं और बाहर आतिशी मार्लिनी सहित सभी नेता उनकी तरफ से जोरदार बयानबाजी कर रहे हैं। फिर यहाँ पर एक और सवाल सामने आकर खड़ा होता है,आखिर केजरीवाल को अपनी पत्नी सुनीता को मीडिया के सामने लाने की जरूरत क्यों महसूस हुई? वैसे भी हमारे देश का इतिहास रहा है, जब भी किसी नेता की बनाई पार्टी में उसके जेल जाने के हालात आए है उसने अपनी पत्नी पर भरोसा दिखाया है।
लालू यादव ने जेल जाने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना दिया था। लेकिन अरविन्द तब तक सुनीता को सीएम नहीं बनाएंगे, जब तक कि पार्टी के कार्यकर्ता और दिल्ली के लोग खुद इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार न हो जाएं। केजरीवाल अगर ऐसा करते भी हैं तो इससे पहले वे दिल्ली के लोगों के बीच सर्वे करवाएंगे और उसके लिए जरूरी है सुनीता की एक लीडर की छवि तैयार की जाए।जिसके लिए अभी से सोशल एक्टिविस्ट को मैदान में उतार दिया गया है।
विपक्ष ने गिरफ्तारी पर उठाये सवाल
वही केजरीवाल के गिरफ्तारी के बाद से ही विपक्ष लगातार मोदी सरकार को घेर रही है और कह रही है की जान बूझकर सभी के यहाँ बीजेपी ED की रेड पड़वा रही है उधर बीजेपी का कहना है कि शराब घोटाले में ईडी के पास पुख्ता सुबूत हैं। इसीलिए दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसौदिया, कैबिनेट मंत्री रहे सत्येंद्र जैन, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, बी आर एस की नेता के कविता सहित 15 लोग पहले से ही जेल में है।
अब इसी केस में सीएम केजरीवाल भी जेल गए हैं, तो जमानत मिलना इतना आसान नहीं है, क्योंकि जब पहले वालों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत नहीं दी , तो इन्हे भला कैसे दे सकते हैं। लेकिन विपक्ष का कहना है कि चुनाव के समय किसी पार्टी के सबसे बड़े नेता की गिरफ्तारी करके लोकतंत्र का गला घोटा गया है। फिर यहाँ पर सवाल उठता है, क्या सुप्रीम कोर्ट एक आपराधिक मामले में जमानत दे देगा?वो भी तब जबकि नौ समन पर केजरीवाल पेश नहीं हुए थे? दूसरा जैसे आप नेता दावा कर रहे हैं कि केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे तो इसमें कोई कानूनी पेंच नहीं है, लेकिन फिर भी सब जानते हैं कि जेल में रहकर सरकार नहीं चलाई जा सकती है। अब इस पुर मामले पर क्या सुनवाई होती है ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।