न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्नेहा श्रीवास्तव
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने धार में स्थित भोजशाला की साइंटिफिक स्टडी कर 2,000 पेज की रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है. लगभग तीन महीने चली इस स्टडी के दौरान अपने-अपने दावे हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने किए हैं. 22 जुलाई को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई होगी.
इस 11वीं सदी में धार जिले के बने परिसर का विवाद नया नहीं है. हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है. मुस्लिम पक्ष कमाल मौला मस्जिद कहता है. हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ASI को आदेश दिया था कि वह छह हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे. हालांकि, रिपोर्ट सौंपने के लिए ASI ने और वक्त मांगा. तीन बार समय बढ़ाया गया. चार जुलाई को हाईकोर्ट ने ASI को निर्देश दिए थे कि 15 जुलाई तक अपनी पूरी रिपोर्ट सौंप दें.
हिंदू सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, ऐसा दावा किया गया
2003 में ASI ने जो आदेश पारित किया था, वह पूरी तरह गलत है. देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है. हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. हाईकोर्ट ने ASI को साइंटिफिक स्टडी के निर्देश दिए थे. हमारा पक्ष दो हजार पेज की रिपोर्ट में मजबूत हुआ है. इस मामले की सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही पर स्टे दे रखा है. इस कारण हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं.
यह है आदेश, जिस पर है विवाद
ASI ने 22 मार्च को इस विवादित परिसर का सर्वे शुरू किया था. करीब तीन महीने यह सर्वे चला. दरअसल, पूरा विवाद एजेंसी के सात अप्रैल 2003 के आदेश को लेकर है. ASI ने हिंदुओँ और मुस्लिमों में विवाद बढ़ने पर आदेश जारी कर परिसर में प्रवेश को सीमित किया था. आदेश के बाद से 21 साल से हिंदू सिर्फ मंगलवार को भोजशाला में पूजा-अर्चना कर सकते हैं. मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा मामला
भोजशाला के मामले पर एक पक्ष पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया था कि साइंटिफिक स्टडी करने के दौरान भोजशाला के भौतिक ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. साथ ही हाईकोर्ट को यह सख्त निर्देश दिए थे कि वह फिलहाल इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकेगा.
सार्वजनिक नहीं होगी रिपोर्ट
ASI की रिपोर्ट की प्रतियां दोनों ही पक्षों को सौंपी जाएगी. कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न करें. ASI ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस सहित अन्य तकनीक इस सर्वे में अपनाई है. भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की गई है. दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष, धार्मिक चिह्न मिले हैं. अफसरों ने सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई है.
वर्ष 1902 में भी हुआ था सर्वे
धार भोजशाला का इतिहास वर्षों पुराना है. अंग्रेजों के शासनकाल में ASI ने धार भोजशाला का सर्वे किया था. तब की रिपोर्ट में मंदिर के अलावा परिसर के एक हिस्से में मस्जिद का उल्लेख भी किया गया था. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नए सिरे से स्टडी के निर्देश दिए थे.
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