न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
सोनम सिंह
छोटे बच्चे(Child) अपने फैमिली से ही अच्छे और बुरे कामों को करना सिखते हैं उनके आसपास का वातावरण उनके ऊपर अपना पूरा प्रभाव छोड़ता है. इसलिए हमें बच्चों के साथ में अच्छे व्यवहार अच्छी बातें करनी चाहिए और उन्हें सीखानी चाहिए. हम कई बार अनजाने में ऐसी गलतियां कर देते हैं जिसकी परिणाम हमारे बच्चे को भुगतना पड़ता है.
आपको बता दें कि छोटे Child माटी के कच्चे बर्तन के समान माने जाते हैं उनको हम जैसा चाहे वैसा बनाने में हमारी पूरी भूमिका होती है. अगर हम उन्हें अच्छा काम सिखाएंगे तो वह अच्छा काम करेंगे और अगर हम उन्हें अच्छा बोलना सिखाएंगे, तो वह अच्छा बोलेंगे.
अगर वहीं हम उन्हें बुरा बोलना और बुरा करना सिखाएंगे तो वह बुरे काम करेंगे और बुरा बोलेंगे. इसलिए हमें अनजाने से भी बच्चों के सामने कुछ ऐसा नहीं बोलना चाहिए या करना चाहिए जिसका गलत प्रभाव बच्चों के ऊपर पड़े.
जब बच्चे छोटे होते हैं उसी वक्त हमें उनकी देखभाल करना बहुत जरूरी हो जाता है,कई बार हम उनकी छोटी-छोटी बातें समझ कर छोड़ देते हैं लेकिन वही छोटी बातें बड़े होने पर उनके लिए समस्याएं बनकर खड़ी हो जाती हैं. इसलिए हमें उनका पूरा ध्यान रखना है और उनकी छोटी सी छोटी पर ध्यान देना है.
अनजाने में हम ऐसी गलती कर देते हैं जिसका दुष्प्रभाव आपके बच्चे को भुगतना पड़ता है जिससे वह गूंगेपन की समस्या में भिन पड़ जाता है.ऐसा ही कई बच्चों के साथ हुआ है कई बार ऐसा होता है कि बच्चे गूंगेपन की समस्या से गुजरने लगते हैं लेकिन उनके माता-पिता को इस बात की भनक भी नहीं लगती है.
इसलिए अगर आपको बच्चा 2 महीने का पूरा हो गया है और कुछ अजीब सी आवाजे निकलने लगता है या बोल नहीं पता है तो यह गूंगेपन की बीमारी होने की शुरुआती लक्षण होते हैं.जिनका समय पर इलाज करवाना बहुत ही जरूरी हो जाता है.
वहीं अगर 18 महीने महीने के बच्चों की बात करें, तो अगर आपका बच्चा 18 साल का हो गया है और मम्मी- पापा ही बोल पाता है और 2 साल की उम्र तक सिर्फ 25 शब्दों और 3 साल तक 200 शब्दों का ठीक से उच्चारण नहीं कर पाता है तो समझ लीजिए की आपका बच्चा “स्पीच डिले” बीमारी का शिकार हो गया है.
अपको बता दें की, कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें इस बात का पता चल जाता है और कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें इस बात का पता नहीं चलता और उनका बच्चा इस गंभीर बीमारी का शिकार होता रहता है उम्र भर के लिए वह गंगा हो जाता है.
अपको बता दें की अगर आपका बच्चा रो रहा हो और आप उसे फोन पकड़ा देते हो, तो इसका भी काफी बुरा प्रभाव बच्चे पर देखने को मिलता है. फोन उसकी भाषा के विकसित होने में समस्या उत्पन्न कर सकता है. बता दें कि किसी बच्चे के मानसिक और लैंग्वेज डेवलपमेंट में उसके आसपास का एनवायरनमेंट बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
डॉक्टर के अनुसार
डॉक्टर के अनुसार यह पता चला है कि अगर कोई बच्चा अक्सर बहेरेपन का शिकार होता है तो हो सकता है की वह गूंगे पान का शिकार भी हो. आपकी ये एक गलती बना सकती है बच्चे को गूंगा अपको दें की, अगर आप अपने बच्चे के रोने पर उसे चुप कराने के लिए फोन का सहारा लेते हैं तो उससे आपका बच्चा गंभीर बीमारी से जूझ सकता है. फोन चलाने की वजह से उसकी लैंग्वेज डेवलप होने में बाधा पड़ सकती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपका बच्चों की लैंग्वेज डेवलप में उसके आसपास के एनवायरमेंट की अहम भूमिका होती है.अगर बच्चों को हमेशा फोन दे दिया जाता है यहां तक की खाने पीने के दौरान भी वह फोन का उपयोग चलाता है तो ऐसे में बच्चे बात ना करके फोन में लगे रहते हैं जिससे उनकी भाषाई विकास नहीं हो पता है और वह गूंगेपन का शिकार हो जाता हैं.