सोनम सिंह
गोविन्द नामदेव: फिल्मी जगत की बात करें तों कई लोगों को उनके मनपसंद रोल से शुरुआत करने का मौका मिलता हैं तो कई लोगों को साईड रोल का किरदार करके अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने को मिलता है. इसी तरह फिल्मी दुनिया में साईड रोल करके अपने करियर की शुरुआत करने वाले मशहूर एक्टर गोविंद नामदेव (Govind Namdev) हैं, जिन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्मों में साईड रोल से की थी. लेकिन इस वक्त उन्हें हर कोई उनकी अच्छी एक्टिंग सें जानते हैं.उन्होंनें एक इंटरव्यु में बताया की उन्हें स्कूल में बुलिंग किया जाता था और एक दिन उन्हें एक साधू ने भी खूब पीटा था.
आपको बता दें की फिल्मी दुनिया में आने वाले लोग अपनी पहेचान बनाने के लिए काफी संघर्ष करते हैं जिसके लिए अगर उन्हें उनका मन पसंद रोल भी न मिले और उन्हें पहेचान बनानी है तो वो उस रोल को भी करने के लिए तैयार हो जाते है. इसी तरह गोविंद नामदेव की भी यही कहानी हैं जिन्होंने अपने फिल्मी करियर कि शुरूआत यूहीं साईड रोल करके की थी. लेकिन अपनी बेधड़क एक्टिंग से आज उन्होंने लोगों के दिलों में एक अलग ही पहेचान बनाई हुई है, आज उन्हें हर कोई जानता हैं. अपनी बेहतरीन अदाकरी से फिल्म इंडस्ट्री में एक अच्छा खासा-मुकाम बनाया हुआ है.
इस फिल्म से की थी अपने करियर की शुरूआत
बता दें की फिल्म इंडस्र्टी में उन्होंने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी है.अपनी फिल्मी करियर की शुरूआत डेविड धवन की 1992 में बनी फिल्म शोला और शबनम से की थी. जिसमें उन्हें उनके दोस्त मशहूर कलाकार अनुपम खेर के कहने पर काम मिला था. उस फिल्म में उन्होंने वतौर एक विलेन के रूप में काम किया था, और अधिकतर फिल्मों में उन्होंने खलनायक के रूप में ही काम किया है. अगर कहें की उनके इसी तरह खलनायक के किरदार से ज्यादा पहेचान मिली है तो यह कहना गलत नहीं होगा.बता दें की उन्हें अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए कई सारे ऑवॉर्डस भी मिले हैं.
इस वजह से पीटा था बाबा ने
गोविंद नामदेव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह छोटे थे और अपना स्कूल कर रहे थे, तो उस वक्त उन्हें बच्चे बुलिंग करते थे और उन्हें काफी परेशान भी किया करते थें. उन्होंने कहा की जब वह अक्षय कुमार की फेमस हुई फिल्म ओएमजी (OMG) में काम किया था, जिसमें उन्हें बात-बात पर क्रोध आने वाले साधू का रोल मिला था. तो उन्हें उस वक्त एक साधू की याद आ गई, जिसने उन्हें एक दिन जमकर पीटा था.
उन्होंने बताया की जब वह 10 या 11 साल के होंगे उस वक्त वो मध्य प्रदेश शहर में रहते थे और वहीं के एक सागार नामक स्कूल में पढ़ाई करते थे.उन्होंने बताया की उस समय हमारा एक दोस्तों का ग्रूप हुआ करता था और हर रविवार को हम वहां की एक नदी किनारे जाकर खूब इंजॉए भी किया करते थे.
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हम सब पहले वहां पर रविवार को अमरूद,मूंगफली और चने ले जाया करते थे और उनकों नदी किनारे घास जलाकर भून कर खाया करते थें फिर पानी में खूब खेलते थे. एक दिन एक साधू आए और हमें देखकर डांटते हुए बोलने लगे की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस पानी को गंदा करने की, इसका उपयोग मैं अपने शिव पर चढ़ाने के लिए करता हूं और तुम इसे गंदा कर रहे हो. उन्होंने हमें ऐसा करने के लिए मना किया और चले गए.
जिसके बाद हम लोग कुछ दिनों तक नहीं गए.लेकिन कुछ दिनों के बाद हमनें चोरी- छुपे वहीं जाना शुरु कर दिया, और एक दिन जब मैं वहां पानी पी रहा था तो उसी वक्त अचानक से वो बाबा आए और मुझे पीछे से गर्दन पकड़कर खींच लिया. जिसके बाद उन्होंने मेरी जो पिटाई की उसे मैं कभी नहीं भूला. उस वक्त जब उन्होंने मुझे पकड़ा था तो वो काफी गुस्से में थे और आंखे बिल्कुल लाल थी. मुझे जब इस फिल्म में बाब का रोल मिला तो मैंने उसी साधू के केरेक्टर को अपने में ढ़ाल लिया.