रिशु चौधरी
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
माता सीता और गुरु नानक देव जैसे महान व्यक्तिव की जन्मस्थली बिहार केवल एक राज्य नहीं है, बल्कि इसका इतिहास भी काफी गौरवशाली रहा है. विविधताओं और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बिहार ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ अपनी उपजाऊ भूमि और अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है. इस अनोखे राज्य के गठन को उत्सव के रूप में मनाने के लिए हर साल 22 मार्च को बिहार स्थापना दिवस (Bihar Formation Day) मनाया जाता है.
यह दिन बिहार राज्य के गठन का प्रतीक है। यह प्रदेश पहले ग्रेटर बंगाल का हिस्सा था। बिहार दिवस (Bihar Divas 2024)
का वार्षिक आयोजन नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पहल के तहत 2010 में शुरू हुआ। तब से हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। बिहार दिवस भारत के अलावा दुनिया कई देशों में मनाया जाता है क्योंकि बिहार के लोग कई देशों में रहते हैं। लेकिन, इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में लागू आचार संहिता के कारण 22 मार्च को बिहार दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं होंगे।
वहीं, बिहार दिवस पर सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्यक्रम होंगे। साथ ही विभाग अपने स्तर पर आयोजन करेगा। वैसे तो राजधानी पटना में बिहार दिवस पर राज्य स्तर पर गांधी मैदान और आस-पास के सभागारों में भव्य कार्यक्रम होते रहे हैं। इस राजकीय कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुति भी होती रही है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम में भाग लेते रहे हैं। लेकिन, इस बार कोई बड़ा या भव्य कार्यक्रम नहीं आयोगित किया जाएगा।इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार दिवस पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
उन्होंने आशा व्यक्त की है कि बिहार निरंतर प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा। बिहारवासी आपसी एकता, भाईचारा, सामाजिक समरसता एवं सद्भाव बनाये रखेंगे। हम सब मिलकर बिहार को प्रगति की नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे और बिहार के गौरव को और आगे बढ़ाएंगे।बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली है। महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति यहीं हुई थी।
भगवान महावीर का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण यहीं हुआ। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज, सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर जी महाराज भी यहां आये थे। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म भी यहीं हुआ था। वर्ष 2017 में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 350वां प्रकाशपर्व धूमधाम से यहां मनाया गया था। प्रकाव पर्व का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता है।