भारत और नेपाल के बीच गहरे सामाजिक, सास्कृतिक और आर्थिक संबंध सदियों से कायम हैं। दशकों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते में नए-नए नियमों की दीवार खड़ी हो रही है। पड़ोसी देश से रिश्तों के कायदे बदलने का असर दोनों के मध्य होने वाले कारोबार पर भी पड़ा है। खासकर पिछले तीन वर्षों में काफी बदलाव आया है। तल्खी का ही असर था कि नेपाल सरकार ने पोरस बॉर्डर की खुली सीमा को आर्म्ड पुलिस फोर्स के हवाले कर दिया। सीमा पर बसे भारतीय क्षेत्र नवाबगंज के पूर्व मुखिया अरविंद यादव बताते हैं- पहले बड़े पैमाने पर सीमा के उस पार भी खेतीबाड़ी के लिये लोग
आयात शुल्क और नागरिकता कानून की अड़चन
दो साल पहले नेपाल में नया कानून बना। वहां शादी होने के बाद महिला के साथ उसकी होने वाली संतान पर भी नेपाली नागरिकता पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गयी है। इससे रिश्तों में गिरावट आ रही है। अररिया चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष उद्योगपति मूलचंद गोलछा ने बताया कि नेपाल की टैक्सेशन नीति से भारतीयों का कारोबार प्रभावित हुआ है। नेपाल ने पिछले साल आयात शुल्क थोप दिया। धान-गेहूं पर आयात शुल्क 3 कर दिया हैं, वहीं चावल आटा आदि पर 8। नेपाल 3 आयात शुल्क पर धान और गेहूं की खरीदारी कर खुद आटा-चावल का उत्पादन कर अपने देश में आपूर्ति कर रहा है।
करोड़ों का कारोबार अब लाखों में सिमट गया है
दो-तीन साल पहले दोनों देशों की सीमा से सटे बड़े बाजारों में प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार होता था। अब लाखों में सिमट गया है। जोगबनी (भारत) और विराटनगर (नेपाल) जैसे बाजार एक-दूसरे के लोगों से पटा रहता था। नेपाल के लोग भारत से चावल, खाद, दूध आदि ले जाते थे तो भारतीय शृंगार की सामग्री, कपड़े और चाइनीज सामान लाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। जोगबनी के कपड़ा व्यवसयी किशन अग्रवाल बताते हैं कई व्यवसायी यहां से पलायन कर गये। कई ने रोजगार बदल लिये।
सीमा पर अब कम ही गूंजती है शहनाई
महज 2020 और 2021 में शादी विवाह में 90 फीसदी तक की गिरावट आयी। जोगबनी बॉर्डर स्थित कस्टम अधिकारी एवं इमीग्रेशन चेक पोस्ट के अधिकारी बताते हैं फरवरी से जून तक चार से पांच सौ की संख्या में दूल्हा-दुल्हन का प्रवेश होता था। अब वैसा नजारा बिल्कुल नहीं देखने को मिलता है। 40-50 शादियां बमुश्किल इस साल हुईं।
नियमों की दीवार
कस्टम के डिप्टी कमिश्नर एके दास कहते हैं कि टैक्सेशन नेपाल सरकार का आंतरिक मामला है। जहां तक व्यवसाय प्रभावित होने की बात है तो भारतीय निर्यातक व नेपाल के आयातक के बीच समन्वय रहता है। समन्वय से ही समाधान फिलहाल निकाला जा सकता है।