GBN24,अमरेन्द्र जैसवाल
नेपाल में शरण लेकर इंडो-नेपाल के सीमाई इलाकों के अलावा बिहार-बंगाल के कुछ इलाकों में वर्ष 2022 में दो सौ से अधिक स्लीपर सेल के सदस्यों के रूप में तैयार करने का टारगेट इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) ने रखा है। इस तरह की खुफिया जानकारी मिलने के बाद गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी गई है।
इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित कुछ संदेहास्पद लोगों की सूची भी एसएसबी के द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई है। इस तरह की सूचना प्राप्त होने के बाद सीमाई इलाकों पर चौकसी बढ़ा दी गई है। चप्पे-चप्पे पर एसएसबी जवानों के द्वारा निगरानी रखी जा रही है।
नेपाल में बैठे आईएसआई के एजेंट के द्वारा फंडिंग भेजी जाती है। सीमाई इलाके के बेरोजगार और नाबालिग को बहकावे में लेकर स्लीपर सेल के सदस्यों के तौर पर तैयार किया जा रहा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि आईएसआई के एजेंट शुरुआती दिनों में युवाओं को अपने जाल में फांसने के लिए सभी तरह की सुविधा मुहैया करवाता है। हाल के दिनों में जोगबनी इंट्री ग्रेटेड चेक पोस्ट के समीप पकड़ाई उज़्बेकिस्तान की युवतियों ने भी जांच एजेंसी को कई तरह की गुप्त जानकारी दी थी। स्लीपर सेल के सदस्य के रूप में काफी संख्या में अफगानी नागरिक भी सिमाई इलाकों में पिछले कई सालों से सक्रिया रहा है।
ग्रामीण इलाकों में जाकर रहने और वहां की गरीब लड़कियों से शादी कर काफी आसानी से आईडी भी तैयार करवा लेते हैं। कटिहार से फरार हुए आठ से अधिक अफगानी नागरिक तमाम कोशिशों के बावजूद भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया। जबकि खुफिया विभाग के अधिकारियों का दावा है कि कटिहार से फरार हुए अफगानी नागरिक इंडो-नेपाल के सिमाई इलाकों में ही अपनी जगह बना कर रखा है।
क्या होता है स्लीपर सेल?
भारत विरोधी शक्तियों के खिलाफ काम करने वाले लोग जो आम लोगों के बीच घुल मिलकर रहते हैं। लेकिन वह गाइड अपने आका के द्वारा होता है। समय-समय पर स्लीपर सेल के सदस्यों को गुप्त जानकारी के अलावा सामाजिक, समीकरण जनसंख्या, नाबालिग, युवकों की संख्या और जाती के अलावा गरीब लोगों की भी जानकारी मांगी जाती है। आम लोगों के बीच रहने की वजह से स्थानीय प्रशासन को भी ऐसे स्लीपर सेल के सदस्यों को पहचानना काफी चुनौती भरा काम होता है।