न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
Cyclone Asna Destruction: एक असामान्य चक्रवात ने अरब सागर में गुजरात के तट को पार करने के बाद मौसम वैज्ञानिकों को पूरी तरह से हैरान करके रख दिया है. इस चक्रवात को मौसम वैज्ञानिकों ने एक दुर्लभ घटना बताया है साथ ही उनका ये कहना है कि ऐसा 1976 के बाद पहली बार हो रहा है कि अरब सागर में भूमि को पार करने के बाद एक चक्रवात बना है, और इसने क्षेत्र में चक्रवात के बनने की काफी वक्त से चली आ रही समझ को एक चुनौती दी है.
इस पर वैज्ञानिकों का यह कहना है कि एक चक्रवात 1976 में ओडिशा से शुरू हुआ था, जो बाद में पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की तरफ बढ़ा था जिसने अंत में अरब सागर में प्रवेश किया. दरअसल, एक लूपिंग ट्रैक का उस तूफान ने पालन किया और उत्तर-पश्चिम अरब सागर पर ओमान तट के पास पहुंचकर वह कमजोर हो गया था.
वैज्ञानिक असना को लेकर हैरान क्यों?
मौसम वैज्ञानिकों ने चक्रवात असान (Cyclone Asna Destruction) का वक्त खास रूप से काफी चौंकाने वाला बताया है. अक्सर, मानसून के मौसम के समय अरब सागर का जो तापमान है वो 26 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रहता है, और इस वजह से जुलाई एवं सितंबर के बीच चक्रवात बनने की जो संभावना है वो नहीं होती है.
वैज्ञानिकों ने यह बताया कि एक कम दबाव वाली प्रणाली है डीप डिप्रेशन, इसमें हवा की जो गति है वो 52 किमी प्रति घंटे से लेकर 61 किमी प्रति घंटे तक ही होती है, लेकिन चक्रवात (Cyclone Asna Destruction) में हवा की जो गति होती है वो 63 किमी प्रति घंटे से लेकर 87 किमी प्रति घंटे के बीच की होती है. जानकारी के लिए आपको बतादें कि साइक्लोजेनेसिस होने के लिए, समुद्र के सतह का जो तापमान है वो 26.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होना चाहिए.
ग्लोबल वॉर्मिंग तो कारण नहीं
वैज्ञानिकों का यह कहना है कि चक्रवात असना (Cyclone Asna Destruction) का आना इस समय में एक काफी अभूतपूर्व घटना है और यह जो अभूतपूर्व घटना है वो अरब सागर में साइक्लोजेनेसिस की बदलती हुई गतिशीलता पर और ज्यादा शोध की जल्द आवश्यकता की तरफ इशारा करती है.
इसी के साथ ही अब मौसम विज्ञानियों को इस बात को समझने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है कि इस क्षेत्र में मौजूद चक्रवात निर्माण प्रक्रियाओं और मौसम के पैटर्न को ग्लोबल वार्मिंग आखिर कैसे बदल सकती है. इस चक्रवात (Cyclone Asna Destruction) के विकास की वैज्ञानिक समुदाय काफी बारीकी से निगरानी करने वाला है और भविष्य के मौसम की क्षेत्र में जलवायु मॉडल तथा भविष्यवाणियों के लिए इसके प्रभावों का भी विश्लेषण करने वाला है.