न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
प्रीत
लोगों को ‘Digital Arrest‘ करने वाली गैंग के छह सदस्यों को नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने गिरफ्तार किया है. यह सभी आरोपी राजस्थान के ही रहने वाले हैं. जानकारी से पता चला है की Digital Arrest के अलावा ये गैंग नशीले पदार्थों की तस्करी तथा अवैध पासपोर्ट, मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई अपराधों को अंजाम देते रहते थे.
आपको बता दें की डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसी रणनीति है, जिसमें अपराधी पीड़ितों को उनके घरों तक सीमित कर देते हैं और ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिए उन्हें डराते हैं. अपराधी अक्सर एआई-जनरेटेड आवाज या वीडियो का उपयोग करके खुद को अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे पीड़ितों को लगता है कि वे कानूनी समस्याओं में फंसे हुए हैं.
असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (साइबर) विवेक रंजन राय ने जानकारी देते होए बताया है इन सभी साइबर अपराधियों को राजस्थान के सीकर जिले के लोसल इलाके से गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में जांच जारी है और साथ ही अन्य राज्यों में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जा रहा है.
सभी आरोपी हैं राजस्थान के रहने वाले
पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तार किए गए सभी व्यक्तियों की पहचान किशन, लाखन, महेंद्र, संजय शर्मा, प्रवीण जगिंड और शंभू दयाल के रूप में हुई है. सभी आरोपी राजस्थान के ही विभिन्न हिस्सों के रहने वाले हैं और साथ ही ये सब विभिन्न राज्यों के अपराधों में शामिल थे, जिस की वजह से यह एक व्यापक साइबर अपराध नेटवर्क बना .
52 लाख रुपये एक शख्श से ठगे
पुलिस की जानकारी के मुताबिक 9-10 मई को एक साइबर अपराधी गिरोह ने एक शिकायतकर्ता को यह विश्वास दिलाकर 52.50 लाख रुपये ठग लिए कि उसकी पहचान का इस्तेमाल विदेश में अवैध ड्रग्स, पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड वाले पार्सल भेजने के लिए किया जा रहा है. इस धोखाधड़ी में, अपराधियों ने खुद को मुंबई अपराध शाखा और अन्य एजेंसियों के अधिकारियों के रूप में पेश किया और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का दावा किया.
साथ ही न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गिरोह ने अपनी धोखाधड़ी के तौर-तरीकों में तीसरे पक्ष के बैंक खातों का भी उपयोग किया तथा फोन और व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से संपर्क किया, और पीड़ितों को उनके अधिकार के बारे में समझाने के लिए फर्जी आईडी भी भेजी। इस तरह की चालबाजी से पीड़ितों को लगता रहा था कि वे कानूनी संकट में फंस गए हैं और उन्हें तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
पुलिस ने क्या बताया?
पुलिस ने एक बयान में कहा है कि संदिग्ध खाताधारकों को ये बताते थे कि उनके अवैध सामान वाले पार्सल मुंबई में सीमा शुल्क विभाग द्वारा पकड़े गए हैं और उनकी जांच गोपनीय है, जिससे वे लोग डर जाते और अपनी परिस्थति के बारे में किसी के साथ इस बारे में चर्चा नहीं करते थे.” अधिकारी के ने बताया की “संदिग्धों ने पीड़ितों के पैसे को धोखाधड़ी वाले खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था और बाद में नकद निकाल कर नकद राशि को आपस में बांट लिया जाता है. आपको बता दें की उन्होंने बैकग्राउंड में पुलिस सायरन तक भी बजाया था और ‘Digital Arrest‘ को वास्तविक दिखाने के लिए फर्जी आईडी तक भेजी.