न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
वंदना
Government Road Initiative: देश में भारी बारिश से खराब हुई सड़कों के कारण आलोचना झेल रही केंद्र सरकार अब सही और अच्छी सड़कों के लिए दोहरा एक्शन लेने की तैयारी कर रही है. सरकार एक तरफ नियमों में सुधार करवाएगी साथ ही ठेकेदारों की जिम्मेदारियां भी बढ़ाएगी वहीं इंजीनियरिंग की खामियां छोड़ने वाले और बेकार सड़कें बनाने वालों के खिलाफ तेजी के साथ केंद्र सरकार कार्रवाई कर अब अच्छी सड़कों के लिए दोहरा एक्शन लेगी. जानकारी के मुताबिक, हाईवे और अन्य सड़कों को सही रखने (गारंटी पीरियड) की ठेकेदार की जिम्मेदारियां 5 साल से बढ़ाकर 10 साल की जा रही है. साथ ही बेकार सड़क बनाने वाले ठेकेदारों या फर्मों की सूची तैयार की जा रही है ताकि उन्हें ब्लैक लिस्ट करने के साथ-साथ उन पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सके.
हालांकि देश में सड़क निर्माण परियोजनाएं अलग-अलग तरीकों से चलती हैं. सबसे प्रचलित तरीका ईपीसी है यानी इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण. ऐसी परियोजनाओं में सरकार पैसा लगाती है और ठेकेदार इंजीनियरिंग, सामग्री खरीदकर सड़कों का निर्माण करवाता है. इन परियोजनाओं में ठेकेदारों के लिए किसी भी प्रकार की अगर उसमें कमी या खराबी होती है तो उसको ठीक करने की गारंटी उनके पास 5 साल रहती है. उसके बाद रखरखाव और उसे ठीक करने की जिम्मेदारी सरकार (Government Road Initiative) के पास आ जाती है.
बता दें कि सरकारी सिस्टम में ज्यादातर सड़कें ईपीसी के आधार पर बनाई जाती हैं. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा है कि ईपीसी की सड़कों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है. सरकार (Government Road Initiative) को अब उससे ज्यादा टाइम देके देखना चाहिए कि क्या बदलाव आता है सड़कों पर, अब सरकार गारंटी अवधि बढ़ाकर दोगुनी यानी 10 साल करेगी तो ठेकेदार को उच्च गुणवत्ता की सड़क बनानी होगी.
बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल टोल वाली सड़कों की गुणवत्ता और सभी सड़कों के मुकाबले ठीक रहती है. दरअसल इन परियोजनाओं में सड़कों के देखभाल की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है फिर भी सरकारी अधिकारियों की पर्याप्त मॉनिटरिंग और जरूरी कार्रवाई के अभाव में इन सड़कों के टूटने के बावजूद भी मरम्मत और सुधार नहीं होता.
जनता टूटी फूटी सड़काें (Government Road Initiative) पर चलने के बावजूद टोल देने को मजबूर होती है. मीडिया के मुताबिक अब सरकार ने ऐसे मामलों में मॉनिटरिंग बढ़ाने, गुणवत्ता देखभाल की शर्तों का पालन न करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माने आदि का जरूरी एक्शन लेने जा रही है और उसी के साथ भविष्य के लिए ब्लैक लिस्ट करने जैसी कार्रवाई करने की तैयारी भी कर रही है.
खराब सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण
दरअसल देश (Government Road Initiative) में तेज रफ्तार के अलावा खराब सड़कें या हाइवे की गलत डिजाइन भी दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण बनती है. देश में हर साल लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, इनमें से आधे से अधिक दुर्घटनाओं के शिकार 18-36 वर्ष की आयु वर्ग वाले होते हैं. वर्ष 2022 में भारत में सड़कों पर 4,61,312 हादसे हुए जिनमें इतने 1,68,491 लोगों की मौत हुई और इतने 4,43,366 घायल हुए.
2018 से 2022 के बीच की सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या में लगभग 6.9 फीसदी की वृद्धि हुई. ऐसे में सड़कों की गुणवत्ता सुधारकर हादसों को कम करना सरकार(Government Road Initiative) की प्राथमिकता है. ऐसा माना जाता है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश की जीडीपी का लगभग 3 प्रतिशत नुकसान होता है.
हालांकि, पिछले दिनों देश में मानसून की बरसात के कारण गांव-शहर की सड़कों के साथ जिला-स्टेट और नेशनल हाईवे पर भी बड़े पैमाने पर सड़कों पर बुरा प्रभाव पड़ा. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, जयपुर-दिल्ली हाईवे पर भी सड़कें टूटीं फूटी मिली हैं. उसके साथ ही उत्तर प्रदेश- बिहार सहित अन्य राज्यों में भी ऐसे कई सड़कें (Government Road Initiative) देखने को मिली हैं.
उद्घाटन के चंद दिनों के बाद ही सड़क टूटी-फूटी मिली. गडकरी ने हाल ही में कई मौकों पर ठेकेदारों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी भी जताई है. वे एक कार्यक्रम में कह चुके हैं कि हम लोगों को निलंबित करने और ठेकेदारों पर जुर्माना लगाने का एक विश्व रिकॉर्ड बनाएंगे क्योंकि वे अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें ही बनाना चाहते हैं.