स्नेहा श्रीवास्तव
Guru Purnima: आज के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है, क्या आप जानते हैं की गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है, क्या है इसके पीछे का रहस्य आइये विस्तारपूर्वक जानते हैं गुरु एक ऐसा शब्द है जिसका हमारे जीवन में बहुत ज़्यादा महत्व हैं. वह ज्ञान,प्रेरणा का स्रोत है , हमारी सफलता का साथी व दुःख का हमराही है. गुरु हमारे अंधकार भरे जीवन में प्रकाश की बाती जला कर उजाला करते हैं.
गुरु वे मनुष्य है जो एक मुरझाये हुए फूल रूपी शिष्या को खिलाने की क्षमता रखते है. Guru Purnima को हम दो और नामों से जानते है वेद पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा. हिन्दू धर्म के कैलेंडर [संवत] के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को न मनाया जाता है. इस साल Guru Purnima 21 जुलाई को मनाई जा रही है. आपको बता दें गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्या के पवित्र संबंध का प्रतिक है.
Guru Purnima के दिन गुरु अपने शिष्या के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं व उनके मन में उनके गुरु के प्रति सभी अनुराग को भी व्यक्त करते हैं। गुरु अपने शिष्य को मंजिल तक पहुँचाने का रास्ता दिखा देता है और हर संभव कोशिश करता है की वो अपने राह से न भटके, गुरु शिष्य को अज्ञानता से ज्ञानता की ओर ले जाता है और नफ़रत पर विजय का पाठ पढ़ाता है.
इसी पर कबीर का एक दोहा जो एक गुरु शिष्य के रिश्ते को संबोधित करता है कुछ इस प्रकार है ” गुरु सिर रखिये , चलिए आज्ञा माहीं , कहैं कबीर ता दास को , तीन लोकों भये नाहिं”. गुरु पूर्णिमा केवल आध्यात्मिक गुरु के लिए ही नहीं बल्कि आकादमिक गुरु की सरहारना व अनुराग प्रकट करने के लिए मनाया जाता है.आइये जानते हैं की ये क्यों मनाया जाता है.
Guru Purnima को मनाने के पीछे का रहस्य
ऐसा माना जाता है की Guru Purnima के दिन भगवान वेद व्यास, जिन्हें हिंदू धर्म का आदि गुरु माना जाता है, का जन्म हुआ था. वेदव्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी, बल्कि ये उनके रचियता है नहीं बल्कि साक्षी भी रहे हैं जिन्होंने हर घटना को घटनाक्रम अनुसार देखा है.अपने आश्रम से हस्तिनापुर की सभी गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी और वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे.
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इसके अलावा अगर हम दूसरी तरफ ऐसा बोला जाता है की , गुरु पूर्णिमा Guru Purnima के दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को ज्ञानअर्पित करने के लिए चुना था और खास बात तो ये है की इसी दिन,भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था.
Guru Purnima कैसे मनाये
Guru Purnima के दिन सभी शिष्या अपने गुरुओं के प्रति कृत्यग्यता व्यक्त करते हैं. उनके चरण स्पर्श कर एक सफल भविष्य का आशीर्वाद लेते हैं और उनके ज़िंदगी में उनके महत्व को दर्शा शुक्रियादा अदा करते हैं. गुरु के मंदिरो में पूजा अर्चना की जाती है और यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है। कई जगहों पर गुरु और शिष्या के संबंध को दर्शाने के लिए कई तरह के नाटकों का आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं.
इस दिन ये काम करना न भूले (Guru Purnima)
हर किसी के जीवन में कोई न कोई न ऐसा इंसान होता है जिसको हम अपना आदर्श मानते हैं जिनसे हम अपने जीवन में कुछ न कुछ सीखते हैं इस दिन हमे उन सभी के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करना चहिये. अगर आपके में ऐसा कोई इंसान नहीं है तो आप अपने जीवन में जिस किसी से भी सीखते हैं उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करना चाहिये.
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः