Saturday, December 21, 2024

Heeramandi बना OTT का सबसे बड़ा वेब सीरीज

- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -

न्यूज़ डेस्क : (GBN24)

आतिफा शेख

फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) अपनी पहली वेबसीरीज ‘हीरामंडी (Heeramandi)’ लेकर हाजिर हैं। नेटफ्लिक्स पर ये रिलीज भी हो चुकी है। पाकिस्तान के लाहौर की जिस असली ‘हीरामंडी’ पर इसकी कहानी आधारित है, असल में उसकी कहानी तवायफों के कोठों का मोहल्ला बनने से लेकर एक बड़ा व्यापार केंद्र बनने तक की है। एक दौर ऐसा भी आया जब इस इलाके में रात के अंधेरे में झूमरों की हलकी रोशनी में महफ़िलें नहीं सजती थीं, बल्कि खुले आसमान के नीचे दिन के उजाले में लाखों का कारोबार होता था। इसका असली इतिहास काफी रोचक है।

दरअसल कहानी काफी पुरानी है, मुग़लों के दौर में पाकिस्तान की Heeramandi का नाम ‘शाही मोहल्ला’ होता था। इसे ‘अदब का मोहल्ला’ भी कहा जाता था, क्योंकि यहां मौजूद तवायफों के कोठे में शाही घरानों के शहजादों को अदब-अंदाज की शिक्षा जो दी जाती थी। हालांकि बाद में ये उनके मनोरंजन केंद्र बनते गए। फिर इस इलाके में आक्रमण हुआ अफगानिस्तान के अहमद शाह Abdali का और उसके बाद अफगान और उज्बेक देशों से लाई औरतों को यहां रख दिया गया। इसी के साथ यहां ‘जिस्मफरोशी’ का धंधा शुरू हो गया। लेकिन काफी सालों के बाद जब महाराजा रणजीत सिंह ने ‘पंजाब state की नींव डाली, तब इस एरिया की किस्मत पलट गई।

महाराजा रणजीत सिंह के दरबार में उनके सबसे करीबी लोगों में एक थे राजा ध्यान सिंह डोगरा। उनके सबसे बड़े बेटे का नाम था हीरा सिंह डोगरा, जिन्हें सिख राज के दौर में लाहौर एरिया का प्राइम मिनिस्टर बनाया गया। साल 1843 से 1844 के बीच ही उन्होंने ‘शाही मोहल्ला’ को ‘हीरा मंडी’ का मौजूदा नाम दिया। उस दौर में इसे अनाज (food grains) का थोक बाजार बना दिया गया। इस तरह देखते ही देखते ये पंजाब की सबसे बड़ी अनाज मंडियों में से एक बन गई।

दिन के उजाले में यहां व्यापारी बैठने लगे और अनाज का कारोबार करने लगे। पंजाब की जमीन हमेशा से खेती का गढ़ रही है. महाराजा रंजीत सिंह के कार्यकाल में लाहौर और उससे जुड़े इलाकों का सालाना रिवेन्यू 5 लाख रुपए होता था। अगर इसे आज के हिसाब से बदलना करेंगे तो लाहौर की अर्थब्यवस्था कई हजार डॉलर की बैठेगी।

सिख राज खत्म होने के बाद ये इलाका ब्रिटिश राज का हिस्सा हो गया। अंग्रेजों ने ‘तवायफों’ के काम को अलग नजरिए से देखा और ये इलाका पूरी तरह से ‘रेड लाइट एरिया’ बनने लगा। आज भी ये लाहौर के प्रमुख रेड लाइट एरिया में से एक है। आजादी के बाद पाकिस्तान में इस इलाके को बंद करने की कई कोशिश हुईं। लेकिन ये अब भी हजारों सेक्स वर्कर की आमदनी का जरिया हैं।

आपका वोट

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...
यह भी पढ़े
Advertisements
Live TV
क्रिकेट लाइव
अन्य खबरे
Verified by MonsterInsights