कुसुम ठाकुर
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
आज के इस दौर में जहां बच्चे अपने मां बाप को अनाथ आश्रम छोड़कर उन्हें बेसहारा कर देते हैं। वहीं इस घोर कलयुग में आज भी श्रवण कुमार जैसे बेटे है जो अपने मां पिता से बहुत ज्यादा प्यार और सम्मान करते हैं। ऐसा ही एक मामला उज्जैन से सामान आया है जहां कलयुग के इस दौर में एक बेटे ने अपनी मां के लिए अपने जांघ चीर कर चमड़ी से चरण पादुका बनवाई और मां को समर्पित की। जैसे ही बेटे ने मां को ये अनोखा तोहफा भेंट किया तो मां भी भाव-विभोर हो गई। दरअसल, उज्जैन में रहने वाले रौनक गुर्जर (Raunak Gurjar) ने कुछ समय पहले संकल्प लिया था कि वे अपनी मां के लिए कुछ अलग करेंगे।
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन से भी एक अपराधी के हृदय परिवर्तन का मामला सामने आया है. महाकाल की नगरी में एक हिस्ट्रीशीटर रहे अपराधी ने अपनी जांघ की चमड़ी से चरण पादुकाएं बनवाकर अपनी मां को पहना दीं. हिस्ट्रीशीटर रहे रौनक गुर्जर ने जांघ की चमड़ी निकलवाकर मां के लिए चप्पल बनवाई। इसकी वजह बताते हुए रौनक ने कहा, ‘मैं केवल समाज को यह बताना चाहता हूं कि माता – पिता के पैरों में जन्नत है। पिता स्वर्ग की सीढ़ी हैं, तो मां उसे बनाने वाली हैं।’ मां निरूला गुर्जर ने कहा, ‘रौनक जैसा बेटा हर मां को दे। उसने मुझे हर मुसीबत से बचाकर बेटे का फर्ज निभाया। भगवान उसके दुःख मुझे दे दे।’ रामायण के रचयिता वाल्मीकि के महर्षि बनने से पहले की कथा हिंदू धर्म ग्रंथों में सुनाई जाती है. वाल्मिकी का असली नाम पहले रत्नाकर था. रत्नाकर अपने परिवार के पालन पोषण के लिए खूंखार डाकू बन गए थे. लेकिन एक दिन देवर्षि नारद जी के समझाने पर डाकू रत्नाकर की जिंदगी बदल गई. भगवान भक्ति में लीन हो जाने के बाद रत्नाकर को पूजनीय महर्षि और आदि कवि वाल्मीकि के नाम से जाना गया. ऐसी ही एक घटना कलयुग में भी देखने को मिला
एक केस में आरोपी बने रौनक के पैर में पुलिस ने एक बार गोली भी मारी थी. रौनक को रामायण से मां की सेवा की प्रेरणा मिली. रौनक ने बताया, रामायण का पाठ करता हूं और प्रभु के चरित्र से काफी प्रभावित हूं और भगवान राम ने ही कहा है कि अपनी मां के लिए चमड़े से खडाऊं भी बनवा दें तो कम है.
बस, इसी बात को लेकर मेरे मन मे ख्याल आया और मां के लिए अपने चमड़े से मैंने चरण पादुका बनवाईं और मां को भेंट कीं, खुद रौनक ने अस्पताल में सर्जरी करवाकर अपनी जांघ की चमड़ी निकलवाने की प्रक्रिया गुपचुप तरीके से करवाई और परिवार में किसी को कुछ नहीं बताया. इसके बाद चमड़ी को लेकर मोची के पास पहुंचा. जहां मोची ने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए पहली बार किसी इंसान की चमड़ी से चप्पल बनाईं.