सरेंडर हो रहा पाकिस्तान, चीन के सामने लोन के लिए गिड़गिड़ाए इमरान खान

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इमरान खान हाल ही में चीन की यात्रा पर थे। इस दौरान वह ड्रैगन के सामने पूरी तरह से सरेंडर के मूड में दिखे। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने वन-चाइना पॉलिसी, ताइवान, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत के मुद्दों पर चीन को बिना शर्त अपना समर्थन दिया। इससे पाकिस्तान की बीजिंग पर लगातार बढ़ती निर्भरता साफ तौर पर झलकी। थिंकटैंक पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (पीओआरईजी) की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है।

चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान, इमरान खान ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। उन्होंने शीर्ष चीनी नेतृत्व से भी मुलाकात की। इस यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए चीन से ऋण और सहायता प्राप्त करना था। थिंक टैंक ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के प्रमुख के बयान के अमुसार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ‘दिवालिया’ बताया है।

साफ दिखी इमरान खान की हताशा
इमरान खान की हताशा को उनकी टिप्पणियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान-चीन संबंध इस्लामाबाद की विदेश नीति की “आधारशिला” थे। आपको बता दें कि दोनों देशों ने “एक-दूसरे के मूल हितों से संबंधित” मुद्दों पर अपना समर्थन दोहराया।

चीन को पाकिस्तान का बिना शर्त समर्थन
इमरान खान ने अपने मूल हित के सभी मुद्दों पर चीन को पाकिस्तान का पूर्ण समर्थन दोहराया और एक-चीन नीति के प्रति प्रतिबद्धता दोहराी। उन्होंने ताइवान, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, झिंजियांग और तिब्बत जैसे मुद्दों पर भी चीन को अपना समर्थन दिया। 

प्रधानमंत्री इमरान खान की यात्रा के लिए चीन की पूर्व शर्त के अनुरूप पाकिस्तान ने नौ चीनी स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) को पीकेआर 50 बिलियन का भुगतान किया और पाकिस्तान कैबिनेट ने रिवॉल्विंग फंड की स्थापना को भी मंजूरी दी।

चीनी इच्छाओं के सामने झुके इमरान खान
पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबरा ‘द डॉन’ के अनुसार, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विशेष सहायक खालिद मंसूर ने खुलासा किया कि पाकिस्तान किस हद तक चीनी इच्छाओं के लिए झुक गया। उन्होंने कहा, “हमने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। कुछ दिनों पहले उनके (चीनी) निवेश प्रस्तावों को अनुपालन व्यवस्था में स्थानांतरित करने का निर्णय। उस व्यवस्था के लिए लगभग 37 संघीय और प्रांतीय अनुमोदन की आवश्यकता थी”।

मंसूर ने दावा किया कि चीन ने ऋण रोलओवर, मुद्रा विनिमय में विस्तार और अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए पाकिस्तान के अनुरोध पर विचार करने का वादा किया है। मंसूर ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने चीन से 4 बिलियन अमरीकी डॉलर का ऋण रोलओवर, मुद्रा विनिमय को 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 10 बिलियन अमरीकी डॉलर और 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए अनुरोध किया है।

पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र में अधिक से अधिक चीनी निवेश की मांग की, जिसमें कपड़ा, जूते, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, ऑटोमोबाइल और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं। इमरान खान की यात्रा से पता चला कि चीन पर पाकिस्तान की पूर्ण निर्भरता थी और चीन इसका पूरा फायदा उठा रहा है। 

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