न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्नेहा श्रीवास्तव
Jammu Kashmir: सीने में जूनून और आँखों में देशभक्ति की चमक रखने वाले जवान अपनी जान की परवाह किए बिना करोड़ो देशवासियों की जान बचाते हैं. आज जो हम सभी सभी अपने घरों में चैन से सोते हैं और चैन से सांस ले पा रहे वो सिर्फ और सिर्फ सरहद पर खड़े हमारे जवानों की वजह से है. ऐसी है एक कहानी ब्रजेश थापा और उनके परिवार की है जिनके बलिदानों के बारे में जान कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जायेगा.
Jammu Kashmir के डोडा जिले में आतंकवादियों का सामना करने के दौरान सैन्य अधिकारी कैप्टन बृजेश थापा ने अपने साथियों की जान बचाने के लिए अपनी जान गवा दी. इस बात की सूचना उनके पिता को दी गई तो उनका पिता ने जवाब दिया की, “मुझे अपने बेटे पर बहुत अभिमान है.” और उसी अभिमान के साथ मां ने भी जवाब दिया, दुखी हूं लेकिन मुझे मेरे बेटे पर फक्र होता है.”
एक जवान बेटे के चले जाने का दुःख किसी भी माता पिता के सीने को छलनी कर के रख देगा, लेकिन यह माता-पिता काफी अलग हैं और इनकी संतान भी इन्हीं की तरह थी एक दम निडर और देश के प्रति समर्पण की भावना, जिगर के टुकड़े के चले जाने की खबर पर भी माता-पिता ने जिस तरह से खुद को संभाला, वह सभी के लिए एक तरह की मिसाल है.
शुभ दिन जन्मे थे कैपटन ब्रजेश थापा
सेना दिवस के दिन जन्मे थे कैप्टन बृजेश थापा. उनके पिता रिटायर्ड कर्नल भुवनेश थापा है. बृजेश थापा के पिता भी फौज में ही थे. कर्नल भुवनेश थापा ने याद करते हुए बताया कि उनका बेटा उनसे व उनके काम से कई ज्यादा प्रेरित था और बचपन से ही उसे अपने पिता के जैसे भारतीय सेना में शामिल होने का काफी मन था.
बृजेश थापा का शुभ दिन यानि की जन्म 15 जनवरी को हुआ था और खास बात यह है की इस दिन को सेना दिवस के तौर पर देशभर में मनाया जाता है. कर्नल के द्वारा बताया गया की Jammu Kashmir के डोडा जिले में एक सैन्य अभियान चलाया गया था और इस तरह के अभियान में हमेशा से जोखिम रहता है. मेरे बेटे ने भी इस तरह के जोखिम भरे अभियान में ईमानदारी से लड़ाई लड़ी और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खुद को सम्पर्पित कर दिया.
सेना में शामिल होने का मोटिवेशन कहाँ से मिला
कर्नल थापा ने बताया कि बृजेश एक इंजीनियर थे, लेकिन उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला लिया. यह उसका खुद का फैसला था. वह सेना और देश से बेहद प्यार करता था. बचपन से ही उसे भारतीय सेना पर गर्व महसूस होता था और वो उसमे शामिल होकर उनका ही हिस्सा बनना चाहता था.
बृजेश ने अपने माता पिता से आखिरी बार 14 जुलाई को फोन पर बात की थी. शहीद अधिकारी की मां नीलिमा ने अपने आंसू रोकते हुए कहा, ‘‘मुझे गर्व है कि उसने देश के लिए इतना कुछ किया, लेकिन यह बहुत बड़ी क्षति है, इसलिए मैं दुखी भी हूं. कर्तव्य तो कर्तव्य है और महत्वपूर्ण बात की एक बार जब आपने वर्दीसीने से लगा लिए तो आप अपने कर्तव्ये से पीछे नहीं हट सकते.
बृजेश थापा के बलिदान पर क्या बोले रक्षामंत्री
कश्मीर टाइगर्स जो की जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े हुए हैं उन्होंने इस घटना की जिम्मेदारी खुद ली है. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जनरल उपेंद्र द्विवेदी जो की सेना के प्रमुख है उनसे बात कर वहां के हालातों का मुआयना लिया और अभियान के बारे में भी कुछ जरुरी जानकारी ली.