तमन्ना चौधरी
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
माता देवी का प्रसिद्ध Jwalamukhi Mandir Himachal Pradesh के कालीधार पहाड़ी के बीच स्थित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी जिसके बाद से माता सती के जीभ के प्रतिक के तौर पर Jwalamukhi Mandir में धरती से ज्वाला निकलती है और यह ज्वाला नौ रंग की होती है। आपको बता दे, इस नौ रंग की निकलने वाली ज्वालाओं को देवी शक्ति का नौ रूप माना जाता है।
मां ज्वाला के नौ रूपों में महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी के रूप शामिल है। आज तक इस रहस्य का पता नहीं चल पाया है आखिर इस मंदिर में निकलने वाली ज्वालाएं कहा से निकलती है और इनका रंग कैसे परिवर्तित होता है। मुस्लिम शासकों ने इस ज्वाला को कई बार बुझाने का प्रयास किया लेकिन उन्हें कभी सफलता प्राप्त नहीं हुई। Jwalamukhi Mandir का निर्माण लगभग 250 साल पहले हुआ था। राजा भूमि चंद ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, जो 16वीं सदी में कांगड़ा राज्य के शासक थे लेकिन ऐसा माना जाता है की Jwalamukhi Mandir को स्थापित करने से पहले यहां पर एक प्राचीन मंदिर था जो शायद 9वीं शताब्दी से पहले बना हुआ था।
Jwalamukhi Mandir हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और यहां ज्वालामुखी की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर से जुड़ी कई विभिन्न कथाएं हैं जो इस मंदिर को रहस्यमय बनाती हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती का शरीर जब चक्रवात से अलग हो गया था तो इससे ब्रह्मांड में अत्याधुनिक शक्ति का उदय हुआ था। इस स्थान पर जब श्री कृष्ण ने श्रद्धा जताई तो उससे अग्नि-स्रोत उत्पन्न हुई थी।
नवरात्रि उत्सव के दौरान देवी की पूजा करने के लिए मंदिर में विशेष पूजा और आरती समाहरोह आयोजित किया जाता है और यह मंदिर अपने जीवंत मेलों और त्योहारों के लिए भी काफी जाना जाता है। ज्वालामुखी मेला साल में दो बार होता है, एक मेला नवरात्रि के दौरान और दूसरा मेला आश्विन के समय होता है। इस समय भक्त लौ के चारों तरफ परिक्रमा करते है और मिठाई का भोग लगाते हैं। सभी भक्तों द्वारा Jwalamukhi Mandir में इस त्यौहार को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है और साथ ही इस मेले में लोक नृत्य, कुश्ती और गायन का आयोजन भी किया जाता है।