Monday, December 23, 2024

कैसे और किसे अचानक मिल गई थी कुर्सी, बिना लॉ की डिग्री के बने थे CJI

- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -

न्यूज़ डेस्क : (GBN24)

प्रीत

Kailash Nath Wanchu: भारत में न्यायपालिका का इतिहास समृद्ध रहा है। कई प्रमुख चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने महत्वपूर्ण फैसले दिए। कैलाश नाथ वांचू(Kailash Nath Wanchu), जो 10वें CJI थे विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं क्योंकि उनके पास लॉ की डिग्री नहीं थी। उनके कार्यकाल ने भारतीय न्यायपालिका की विविधता और गहराई को दर्शाया।

जानिए कोन थे कैलाश नाथ वांचू

जस्टिस कैलाश नाथ वांचू कश्मीरी पंडित थे। उनका परिवार कश्मीर से इलाहाबाद आ गया था। जिनका जन्म 25 फरवरी 1903 को इलाहाबाद में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा मध्य प्रदेश के नौगांव में और माध्यमिक शिक्षा कानपुर में हुई। बाद में वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बिना लॉ की डिग्री के 10वें मुख्य न्यायाधीश बने।

जानिए ICS से CJI तक का सफर

कैलाश नाथ वांचू शुरू से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे। ग्रेजुएशन के बाद 1924 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विसेज (ICS) ज्वाइन की और ट्रेनिंग के लिए लंदन चले गए। ICS की ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने क्रिमिनल लॉ की पढ़ाई की और वकालत की तमाम बारीकियों को समझा। ऑक्सफोर्ड से आईसीएस की ट्रेनिंग करने के बाद वहाँ से लौटने पर उन्हें संयुक्त प्रांत में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और कलेक्टर नियुक्त कर दिया गया।

Kailash Nath Wanchu
Kailash Nath Wanchu

प्रशासनिक और न्यायिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया जिससे उनकी कानूनी दक्षता और ज्ञान में वृद्धि हुई। यही अनुभव उन्हें बाद में न्यायपालिका में काम आया और उन्हें भारतीय न्यायपालिका के उच्चतम पद तक पहुंचाया। कैलाश नाथ वांचू अगले 10 साल तक संयुक्त प्रांत के विभिन्न जिलों में सेवा करते रहे और तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते रहे। 1937 में वे सेशंस एंड डिस्ट्रिक्ट जज बनाए गए। 1947 में जब उनके एक आईसीएस साथी छुट्टी पर थे, वांचू को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्टिंग जज नियुक्त किया गया। अगले 10 महीनों में उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया।

कैलाश नाथ वांचू की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनने की कहानी काफी दिलचस्प है। वह इस पद की दौड़ में नहीं थे, लेकिन 11 अप्रैल 1967 को तत्कालीन CJI के. सुब्बाराव ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। सुब्बाराव के इस्तीफे के बाद, स्थिति ऐसी बनी कि वांचू को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नियुक्त किया गया। वांचू का अनुभव और उनके न्यायिक करियर में उनकी दक्षता ने उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बना दिया।

वांचू 24 अप्रैल 1967 से 24 फरवरी 1968 तक करीब 11 महीने तक CJI रहे। अपने कार्यकाल के दौरान वह 1286 बेंच का हिस्सा रहे और कुल 355 महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण कमेटियों का हिस्सा भी रहे और न्यायिक सुधारों में योगदान दिया।

सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले वह 1950-51 के बीच गठित यूनाइटेड प्रोविंस कमेटी का भी हिस्सा रहे थे। जिससे उनकी व्यापक न्यायिक और प्रशासनिक समझ और अनुभव का लाभ मिला। उनके कार्यकाल ने भारतीय न्यायपालिका की मजबूती और स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया।

आपका वोट

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...
यह भी पढ़े
Advertisements
Live TV
क्रिकेट लाइव
अन्य खबरे
Verified by MonsterInsights