न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्नेहा श्रीवास्तव
1 जुलाई यानी कि आज से देश में तीन बड़े नए क्रिमिनल Laws लागु होंगे। जिनसे कुछ सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिलेंगे। नए क्रिमिनल Laws में महिलाओं, बच्चों और जानवरों से हिंसा के Laws को और भी ज्यादा सख्त किया गया है। कुछ धाराओं में बदलाव भी किए गए हैं। शादीशुदा महिला को फुसलाना भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाएगा और जबरन आप्रकृतिक यौन संबंध अब अपराध की श्रेणी से बाहर है। इसके अलावा कई प्रोसिजरल बदलाव ही हुए हैं, उदहारण के तौर पर अब घर बैठे आप e– FIR दर्ज करवा सकते हैं।
कुछ धाराओं में बदलाव भी किया गया है। अब हत्या करने पर धारा 302 की बजाए धारा 101 लगेगी, धारा 420 जो धोखाधड़ी के लिए काफी मशहूर है अब इसकी जगह धोखाधड़ी के लिए धारा 318 का उपयोग किया जाएगा। बलात्कार की धारा 375 से हटकर 63 करी गई है।
170 साल पहले अंग्रेज़ो के द्वारा बनाये गए क्रिमिनल कानून
प्राचीन भारत में कानून व्यवस्था वेदों, स्मृतियों और रीति-रिवाजों के आधार पर चलती थी, लेकिन मध्यकाल में जब मुसलमान भारत आए तो धर्म के साथ अपना लीगल सिस्टम भी साथ ले आए। इनके मामले में क्रिमिनल में शरीयत का कानून चलता था।
शरीयत कानून बेहद कठोर था। इसमें चोरी के लिए हाथ काट दिया जाता था और किसी का मर्डर करना दोनों के आपस का विवाद माना जाता था। और इसके बदलाव की शुरुआत अंग्रेजों के आने के बाद से हुई ।
1765 में ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार और ओडिशा के रेवेन्यू राइट्स मिल गए थे। वॉरेन हेस्टिंग्स ने 1772 में गवर्नर जनरल बनते ही नए ज्यूडिशियल प्लान और कोर्ट बनाने शुरू किए। 1834 में भारत में पहला Law कमीशन बनाया गया। इसके अध्यक्ष लॉर्ड मैकाले थे।
मैकाले ने भारतीय दंड संहिता यानी IPC का पहला ड्राफ्ट बनाया।
1853 में सर जॉन रोमिली की अध्यक्षता में दूसरा Law कमीशन बना। उन्होंने CPC (सिविल कानून लागू करने की प्रक्रिया से जुड़े नियम), CrPC (सजा देने की प्रोसेस और उससे जुड़े नियम) और IPC (किस अपराध के लिए क्या सजा हो, इससे जुड़े नियम) के ड्राफ्ट तैयार किए।
1861 में तीसरा Law कमीशन बना। इसने इंडियन एविडेंस एक्ट (सबूतों-गवाहों से जुड़े नियम), इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट (नौकरी, खरीद-बिक्री से जुड़े नियम) और द ओथ एक्ट बनाए। इन Laws के आने के बाद भारत में क्रिमिनल Law का कोडिफिकेशन लगभग पूरा हो गया।
अंग्रेज़ो के बनाये गए ये क्रिमिनल Laws देशभर में लगभग 170 सालों तक लागु हुए।
जुलाई से लागू हुए तीन नए क्रिमिनल Laws
21 दिसंबर 2023 को भारत की संसद ने मौजूदा क्रिमिनल कानूनों को बदलने के लिए तीन नए आपराधिक कौनून पारित किए, जिसे 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी भी दी। अब इन Laws को 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू कर दिया गया है।
1. अंग्रेज़ो के द्वारा 1860 में बना इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 लागू किया गया।
BNS Law में IPC के 22 प्रावधानों को निरस्त करके 175 में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही Law में 8 नई धाराएं और जोड़ी गई हैं। भारतीय न्याय संहिता, 2023 में अब कुल 356 धाराएं हैं।
2. 1898 में बने CrPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लागू
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के जरिए CrPC के 9 प्रावधानों को निरस्त, 160 प्रावधानों में बदलाव किया गया और 9 नए प्रावधान किए गए हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब कुल 533 धाराएं हैं।
3. 1872 में बने इंडियन एविडेंस कोड की जगह अब भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 लागू
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 मौजूदा इंडियन एविडेंस कोड के 5 प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है। 23 प्रावधानों में बदलाव के साथ एक नया प्रावधान भी शामिल किया गया है। अब Law में कुल 170 धाराएं हैं।
भारतीय न्याय सहिंता में किन ーकिन धाराओं में किया गया बदलाव
अपराध IPC धारा BNS धारा
1. मर्डर 302 101
2. धोखाधड़ी 420 318
3. रेप 375 63
4. गैंगरेप 376 [D ] 70
5. गैर-कानूनी सभा 141 ─ 144 187 ー 189
6. दंगे 146 191
7. दहेज हत्या 304 [A ] 80
8. हत्या का प्रयास 307 109
9. मानहानि 499 356
10. किडनैपिंग 359 137
11. हमला 351 130
12. पीछा करना 354 [D] 78
भारतीय न्याय सहिंता में क्या नया जुड़ा है।
1. शादी का झांसा दें महिलाओं को अब यौन शोषण करना अपराध है।
2. मॉब लीचिंग के लिए अब अलग से Law बनाया गया है।
3. ऑर्गनाईज़ड क्राइम के लिए भी अलग से बनी गया Law। इसमें चोरी, डकैती, कब्ज़ा, लूटपाट, तस्करी, साइबर क्राइम शामिल है।
4. आतंकवाद को क्रिमिनल Laws में शामिल किया गया।
5. पब्लिक सर्वेंट को अगर ऑफिशियली ड्यूटी करने से रोका जाए और इसकी वजह से वो सूसाइड करने की कोशिश करता है तो ये भी अब अपराध माना जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं से जुड़े 4 बड़े न्याय
1. शादी का झांसा देकर यौन शोषण करना अपराध माना गया है।
धारा 69 के मुताबिक किसी भी महिला से शादी का झूठा वादा करना या उसे नौकरी और प्रमोशन का लालच देकर यौन संबंध बनाने पर (रेप न हो फिर भी) दस साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। इसमें पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। IPC में इससे निपटने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं था। इसके चलते कोर्ट IPC की धारा 493 और धारा 90 की मदद से मिसकन्सेप्शन ऑफ फैक्ट के तहत फैसला सुनाता था,जिसमें दस साल तक जेल का प्रावधान था।
2. नाबालिग से गैंगरेप में फांसी की सजा
नाबालिग के साथ गैंगरेप या गैंगरेप की कोशिश करने पर भारतीय न्याय संहिता में धारा 70 (2) के तहत अपराध में शामिल हर व्यक्ति को फांसी की सजा हो सकती है। वहीं धारा 70 (1) के तहत किसी वयस्क महिला के साथ गैंगरेप के अपराध में भी उम्रकैद और कम से कम 20 साल की कैद की सजा हो सकती है।
पहले IPC की धारा 376 (D और B) में 12 साल से कम उम्र तक की नाबालिग से गैंगरेप करने पर फांसी और 12 साल से ऊपर की युवती से गैंगरेप पर अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती थी।
3. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं
भारतीय न्याय संहिता में अडल्ट्री को हटा दिया गया है। यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं है। साल 2018 में जोसेफ शाइन वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 497 को असंवैधानिक बताया था। इस धारा में अडल्ट्री के नियमों को बताया गया था।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 के तहत किसी शादीशुदा महिला को धमकाकर, फुसलाकर उससे अवैध संबंध बनाने के इरादे से ले जाना अब भी अपराध माना जाएगा। इसमें 2 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
4. नाबालिग पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाना रेप होगा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 में रेप को परिभाषित किया गया है। इसके एक्सेप्शन 2 में कहा गया है कि कोई व्यक्ति पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है, तो उसे रेप नहीं माना जाएगा। बशर्तें पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक हो। यानी नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध बनाना रेप के दायरे में आएगा। पहले IPC की धारा 375 में यह उम्र 15 साल थी। देश में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 साल है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल Law में 18 साल से कम उम्र में शादी की इजाजत है।
5. भारतीय न्याय संहिता बच्चों से जुड़े 2 बड़े अपडेट
बच्चों की किडनैपिंग पर 7 साल की सज़ा। किडनैपिंग के मामलों में लड़के-लड़की की उम्र 18 साल तय की गई है। इसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 18 साल से कम उम्र के बच्चों (लड़का-लड़की दोनों) को उनके संरक्षक की मर्जी के बगैर फुसलाकर ले जाता है, यानी किडनैप करता है तो धारा 137 और 138 के तहत उसे 7 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। इन मामलों में अब महिला पुलिस अधिकारी बयान दर्ज करेंगी और जांच संभालेंगी।
पहले IPC में इस अपराध के लिए लड़के की उम्र 16 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल तय थी। भारतीय न्याय संहिता में इसे बदलकर एकरूपता लाने की कोशिश की गई है।
6. बच्चों की खरीद-फरोख्त में 10 साल की कैद
भारतीय न्याय संहिता में 18 साल से कम उम्र के बच्चों की वेश्यावृत्ति के लिए खरीद-फरोख्त करने पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 98 और 99 के मुताबिक कम से कम 7 साल और अधितकम 14 साल की सजा का प्रावधान है। पहले IPC में इस अपराध के लिए धारा 361 के तहत अधिकतम 10 साल की सजा दी जा सकती थी।
इसी तरह भारतीय न्याय सहिंता में डॉक्टरों, ड्राइवर, पत्रकारों से जुड़े कुछ बड़े─बड़े अपडेट देखें गए हैं।
साथ ही भारतीय न्याय संहिता 2 बड़े नए प्रावधान शामिल हुए।
• मॉब लिंचिंग पर अलग से Law और फांसी की सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(2) के मुताबिक अगर 5 या उससे ज्यादा लोगों का ग्रुप जाति, धर्म, भाषा, लिंग, नस्ल आस्था जैसी वजहों के आधार पर किसी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर देता है, तो ग्रुप के हर व्यक्ति को फांसी की सजा हो सकती है। मॉब लिंचिंग में उम्रकैद और जुर्माना भी हो सकता है।
पहले IPC में इसके लिए अलग से कोई Law नहीं था। मॉब लिंचिंग के दोषियों पर IPC की धारा 302 के तहत हत्या का केस ही दर्ज किया जाता था। मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ने के बाद देश में लंबे समय से अलग कानून की मांग उठ रही थी।
- पहली बार क्रिमिनल कानूनों में आतंकवाद शामिल हुआ है।
आतंकवाद को क्रिमिनल Laws में शामिल कर लिया गया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में आतंकवाद और आतंकी गतिविधियों को परिभाषित किया गया है। दोषी पाए जाने पर आरोपी को फांसी और उम्रकैद की सजा हो सकती है।
पहले IPC में आतंकवाद शामिल नहीं था। ऐसे मामलों को अनलॉफुल एट्रोसिटीज प्रिवेंशन एक्ट यानी UAPA के तहत पेश किया जाता था। UAPA के नियम ज्यादा सख्त होते हैं और मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि BNS और UAPA दोनों एक साथ काम कैसे करेंगे।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता : 6 बड़े अपडेट
- पुलिस स्टेशन जाए बगैर कर सकेंगे FIR
धारा 173 के मुताबिक अब पुलिस स्टेशन जाए बगैर ऑनलाइन FIR दर्ज कराई जा सकती है। पहले कुछ राज्यों में चोरी जैसे अपराधों में E-FIR दर्ज कराई जा सकती थी, लेकिन अब देशभर में हत्या, लूट, रेप जैसे गंभीर मामलों में भी E-FIR हो सकती है।
- किसी भी पुलिस स्टेशन पर दर्ज कर सकेंगे FIR
धारा 173 में जीरो FIR का प्रावधान दिया गया है। जीरो FIR यानी घटना किसी भी थाना क्षेत्र की हो, उसकी FIR किसी भी जिले और थाने में कराई जा सकती है। पहले कई बार पुलिस फरियादी को थाना क्षेत्र का हवाला देकर वापस भेज देती थी।
• फोन पर मिलेगी केस की जानकारी
केस दर्ज कराने वाले व्यक्ति को केस, उसकी प्रोग्रेस और अपडेट की हर जानकारी मोबाइल नंबर पर SMS के जरिए दी जाएगी। धारा 193 के मुताबिक केस में हो रही हर अपडेट 90 दिन के अंदर फरियादी को बतानी होगी। CrPC में इसकी सुविधा नहीं थी।
- अरेस्ट होने पर जानकारी देने का प्रावधान
सेक्शन 36 के मुताबिक व्यक्ति को अरेस्ट होने के बाद अपनी इच्छा के किसी भी एक व्यक्ति को अरेस्ट की जानकारी देने का अधिकार दिया गया है। इससे अरेस्ट हुए व्यक्ति की मदद हो सकेगी, साथ ही कानूनी प्रक्रिया में तेजी आएगी।
• गंभीर मामलों में फोरेंसिक जांच जरूरी
धारा 176 में गंभीर अपराध के मामलों में फोरेंसिक जांच को जरूरी कर दिया गया है। इसके मुताबिक सात साल से ज्यादा की सजा वाले सभी मामलों में फोरेंसिक एक्सपर्ट अपराध वाली जगह पर जाकर सबूत इकट्ठा करेंगे। किसी के घर की तलाशी करते वक्त भी पुलिस को वीडियोग्राफी करनी होगी।
- महिलाओं-बच्चों पर अपराध की जांच 2 महीनों में
धारा 193 के मुताबिक महिलाओं और बच्चों से जुड़े गंभीर अपराध के मामलों को अपराध की शिकायत मिलने के दो महीने के अंदर खत्म करना अनिवार्य हो गया है। पहले CrPC की धारा 176 में केवल रेप के मामलों की जांच 2 महीने के अंदर खत्म करने के निर्देश दिए गए थे।