ईशा दुबे
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
lok sabha election 2024 : उत्तराखंड की नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट (Ajay Bhatt) के सामने भाजपा को लगातार तीसरी बार जीत दिलाने की चुनौती है। उत्तराखंड में अजय भट्ट की पहचान एक जुझारू और संघर्षशील नेता के रूप में है। साल 2019 के lok sabha election में अजय भट्ट को भाजपा ने पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ नैनीताल सीट से मैदान में उतारा। इस चुनाव में उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी।
अजेय बने रहने की चुनौती!
लगन व मेहनत किसी को भी बुलंदियों तक पहुंचा सकती है। इसका सशक्त उदाहरण बने हैं अजय भट्ट। किशोरावस्था में ही अजय भट्ट के सिर से पिता कमलपति भट्ट का साया उठ गया। दो भाई भी चल बसे। घर परिवार का जिम्मा अजय के कंधों पर आ गया। मेलों में दुकानें लगा पढ़ाई का खर्चा निकाला।द्वाराहाट में सब्जी की दुकान चलाई। फिर अल्मोड़ा से एलएलबी किया और 1985 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ गए।
नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव की हार भी अजय भट्ट का मनोबल नहीं तोड़ सकी। लंबे सियासी अनुभव की बदौलत विजयपुर ग्रामसभा के धनखलगांव के इस जुझारू कार्यकर्ता के मोदी कैबिनेट में जगह बनाने के बाद साबित भी हो गया है कि गांव का एक गरीब कार्यकर्ता मेहनत के बूते बुलंदियां ही नहीं छूता बल्कि दूसरों के लिए उदाहरण भी बनता है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार अजय भट्ट का शुरूआती सियासी सफर काफी दिलचस्प रहा है।
1989 में नगर पंचायत द्वाराहाट में पार्टी के ही वरिष्ठ नेता प्यारे लाल साह के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा। बराबर मत मिलने पर लॉटरी निकाली गई। उसमें अजय हार गए। इसी परिणाम ने युवा कार्यकर्ता को राजनीति में आगे बढऩे की ललक व सनक जगाई। उन्होंने द्वाराहाट को छोड़ रानीखेत को अपनी कर्मभूमि बनाया। इसे सियासी कौशल व नेतृत्व क्षमता ही कहेंगे कि 1985 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के नेतृत्व ने उन्हें कार्यकारणी सदस्य बनाया।
वर्ष 1996 में अजय भट्ट पहली बार विधायक चुन कर अविभाजित उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे। अजय भट्ट नवगठित उत्तराखंड में स्वास्थ्य मंत्री रहे। 2012 से 17 में वह नेता प्रतिपक्ष रहे। इससे पूर्व 2015 में प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। अजय भट्ट ने दोनों पद बखूबी संभाले। 2017 में भाजपा के पक्ष में प्रचंड लहर होने के बावजूद विधानसभा चुनाव हार गए। मगर पार्टी में उनकी साख बरकरार रही।
साल 2019 के lok sabha election में अजय भट्ट को भाजपा ने पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ नैनीताल सीट से मैदान में उतारा। तब अजय तीन लाख से भी अधिक मतों से जीत कर संसद पहुंचे। तब भी अजय को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के कयास लगाए जाने लगे थे। लंबे धैर्य ने अंततः इस अनुभवी नेता को मोदी के मंत्रिमंडल में जगह दिला ही दी।
लंबे सियासी अनुभव और राजनीतिक जीवन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति की बदौलत अजय भट्ट ने एक शानदार मुकाम हासिल किया है। एक बार फिर अजय भट्ट पर आगामी lok sabha election में नैनीताल सीट को बरकरार रखने की चुनौती होगी। अब देखना ये है कि वे कैसे पार्टी का विश्वास कायम रखते हुए इस चुनौती से पार पाते हैं।