न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
Manish Sisodia Bail: पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाला मामले में अब सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिल चुकी है. जैसा कि सब जानते हैं कि काफी लंबे समय से मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल में बंद थे जिन्हे आज सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. लेकिन इसके बदले सिसोदिया को दो श्योरिटी और 10 लाख के बेल बॉन्ड जमा करने होंगे. और इसके बाद जेल से उन्हें रिहा कर दिया जायगा. जानकारी के मुताबिक, जल्द ही मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आने वाले हैं.
मनीष सिसोदिया को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा
शर्त लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सिसोदिया को यह निर्देश दिए हैं कि वे अपने पासपोर्ट को जमा कर दें साथ ही गवाहों को प्रभावित न करें. सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि ट्रायल के पूरा होने को लेकर ASG का बयान बहुत विरोधभासी है. 18 महोने से सिसोदिया (Manish Sisodia Bail) जेल में बंद है. पर ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. वहीं सिसोदिया के अधिकार का स्पीडी ट्रायल का हनन हुआ है.
बेल देते हुए कोर्ट ने कही ये बातें
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत (Manish Sisodia Bail) याचिका को लेकर फैसला सुनते हुए ये कहा है कि बेल रुल है और जेल एक अपवाद है. और इस नियम को निचली अदालत व हाई कोर्ट को ध्यान अपने में रखना चाहिए. इन तथ्यों को हाई कोर्ट एवं निचली अदालत ने अनदेखा किया है. वहीं मनीष सिसोदिया के ट्रायल में जहां तक देरी का आरोप है, उन पर भिन्न-भिन्न अर्जी दाखिल करने का भी आरोप है. सीबीआई केस में उन्होंने 13, ईडी में उन्होंने 14 अर्जी दाखिल की. और ये सभी अर्जियों को ट्रायल कोर्ट ने मंजूरी दी थी. ये मानने से कोर्ट ने इनकार कर दिया है कि ट्रायल में देरी मनीष सिसोदिया के कारण हुई है.
जांच पूरी लेकिन ट्रायल क्यों अभी तक शुरू नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने आगे ये भी कहा है कि अपने आदेश में निचली अदालत ने कहा था कि मनीष (Manish Sisodia Bail) की अर्जियों के कारण ही ट्रॉयल को शुरू करने मे देरी हुई है, पर वो सही नहीं है. इस बात से हम बिलकुल सहमत नहीं कि अर्जियों के कारण से इस ट्रॉयल में देरी हो सकती है. ईडी के द्वारा 8 आरोपपत्र इस मामले में दाखिल किया गया है.
अब जब ऐसे में जांच पूरी हो गई है फिर जुलाई में क्यों ट्रायल को शुरू नहीं किया गया है. राइट टू स्पीडी ट्रॉयल को निचली अदालत ने अनदेखा कर दिया है. और जमानत (Manish Sisodia Bail) मेरिट के आधार पर नहीं दी है. पिछले साल अक्टूबर के आदेश में हमने देरी होने के आधार पर जमनात की बात कही थी.