Sunday, December 22, 2024

जाने क्या Mukhtar Ansari की मौत देगी BJP को चुनाव में फायदा? या फिर होगा सियासी नुकसान

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अपराजिता

न्यूज़ डेस्क : (GBN24)

Mukhtar Ansari, जुर्म की दुनिया का एक ऐसा बादशाह माना जाता था जिसका नाम सुनते ही लोगों के अंदर खौफ भर जाया करता था। उत्तर प्रदेश में उसकी तूती बोला करती थी और अब-जब उसकी मौत हो गयी है तो वो फिर से एक बार सुर्ख़ियों में छा गया है। Mukhtar Ansari के निधन के साथ ही यूपी में माफिया राज के एक युग का अंत हो गया हम ऐसा भी मान सकते है। वही आपको बता दें की, यूपी में तब अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह की सरकार थी और उनको निर्दलीय विधायक के तौर पर Mukhtar Ansari सपोर्ट था। योगी बाबा को तब संसद में अपनी सुरक्षा के लिए फूट-फूट कर रोना पड़ गया था।

उत्तर प्रदेश में योगी राज:

लेकिन कहते है ना वक्त सब का आता है, फिर वक्त का पहिया घूमा और आज यूपी की भागदौड़ योगी आदित्यनाथ के हाथ में है। दो बार उम्रकैद की सज़ा पा चुका Mukhtar Ansari का अस्तित्व मिट्टी में मिल कर ढेर बन गया। लेकिन यूपी के गाजीपुर में आज के समय बेचैनी के बीच मातम पसरा हुआ है. यूपी में पांच बार के विधायक रहे बाहुबली Mukhtar Ansari का गांव मोहम्मदाबाद उसकी मौत पर आँसू बहा रहा है, लेकिन इसी शहर में बीजेपी के पूर्व विधायक कृष्णा नंद रॉय के समर्थकों को लगता है कि कुदरत ने आज इंसाफ कर दिया है। बाँदा जेल में उम्र कैद की सज़ा काट रहे माफिया टर्न पॉलिटिशियन Mukhtar Ansari को भले हार्ट अटेक आया हो, लेकिन बीस साल पहले बीजेपी के उभरते नेता कृष्णा नंद रॉय को दिन दहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उनके काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग करके पूर्वांचल को पुरे खौफ से भर दिया गया था। अगर याद हो तो आज के समय उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे योगी आदित्यनाथ ने एक वक्त में विधानसभा में ऐलान किया था की माफियाओं को जड़ से मिटा देंगे तब शायद उनको कृष्णा नन्द राय जरूर याद आये होंगे और उत्तरप्रदेश की भागदौड़ जबसे योगी बाबा के हाथ में आयी है उन्होंने ये करके दिखाया है, पुरे उत्तरप्रदेश में गैंगस्टर माफियाओं को चुन-चुनकर सजा दी है।

मौत की असल वजह –

लेकिन सवाल यहाँ पर ये उठता है जब Mukhtar Ansari जेल में बंद था और कड़ी निगरानी में थे तब उनकी मौत कैसे हो गयी ?
दरअसल उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया Mukhtar Ansari की गुरुवार देर रात हार्ट अटक से मौत हो गई थी।और Mukhtar Ansari की मौत की खबर मिलने के बाद बांदा मेडिकल कॉलेज के बाहर बड़ी संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई थी। डीजीपी मुख्यालय ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया था। वही आपको बता दें की मुख्तार अंसारी पर 65 से ज्यादा मुकदमें दर्ज थे। 21 सितंबर 2002 में उसे पहली बार सजा हुई थी। 2 केस में उम्र कैद की सजा हुई थी. पिछले 17 महीने में उसको 8 बार सजा हुई थी, और इन सब का सारा श्रेय जाता है योगी सरकार को क्यूंकि ये बात तो तय है की योगी सरकार न होती तो इंसाफ हो पाना काफी मुश्किल ही था।

और क्रिमिनल बैकग्राउंड होने की वजह से हर कोई Mukhtar Ansari से डरा करते थे ,वही बाहुबली Mukhtar Ansari के बड़े भाई अफज़ाल अंसारी सांसद हैं तो बेटा और भतीजा विधायक हैं। तीनों भाइयों के बीच करीब चार दशक से सियासत फल फूल रही है। परिवार अब जाँच की मांग कर रहा है। वही माफिया Mukhtar Ansari की मौत पर ढेरों शक और सवाल उठ रहे हैं, और इसी के साथ पूर्वांचल के चुनाव में ये बड़ा मुद्दा बनकर निकलेगा। इसीलिए प्रशासन अलर्ट है। गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ पुलिस प्रशासन को तनाव और अराजकता फैलने की भी आशंका है। जिसके लिए प्रशासन पहले से तैयार दिख रही है, शायद इसलिए सोशल मीडिया में अफवाह, भड़काऊ, या आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्यवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही मऊ, गाजीपुर और पूरे पूर्वांचल में सुरक्षा बढ़ाई गई है।

Mukhtar Ansari का राजनितिक इतिहास

Mukhtar Ansari पहले पंजाब की रोपड़ जेल में आराम से दिन काट रहा था, लेकिन यूपी में योगी सरकार ने आते ही उसकी फाइल खोल दी।
Mukhtar Ansari को यूपी वापस लाने के लिए योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गयी, जहां पंजाब पुलिस की तमाम दलीलों के बावजूद अदालत ने Mukhtar Ansari को यूपी वापस भेजने का आदेश दे दिया। जिसके बाद 6 अप्रैल 2021 को उसे रोपड़ जेल से एंबुलेंस द्वारा कड़ी सुरक्षा में बांदा जेल लाया गया था। जेल में उसे तन्हाई बैरक में सीसीटीवी की निगरानी में रखा गया। सख्ती का आलम ये था कि उसकी ड्यूटी पर तैनात किसी जेल कर्मी ने उसके खातिर दारी करने की कोशिश की तो, फौरन उसका ट्रांसफर हो जाता। इसीलिए जेलकर्मियों को भी लगातार बदला जा रहा था।

जागीर है रोपड़ जेल से यूपी आने के बाद माफिया Mukhtar Ansari पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। उसे डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई, जिसमे दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी। इससे उसका जिंदा जेल से बाहर आना नामुमकिन हो गया था। Mukhtar Ansari के परिजन लगातार जेल में उसकी हत्या करने की साजिश रचने का आरोप लगाते रहे। जब प्रयाग राज में माफिया डॉन अतीक अंसारी को पुलिस कस्टडी में गोली मारी गई, तब से Mukhtar Ansari को जेल में भी बुरे सपने आते थे। अपने अतीत को याद करके वो काँप जाया करता। तब से लगातार परिवार वाले उसकी हत्त्या की साज़िश का आरोप लगाते आ रहे हैं। अब जब उसकी चुनावों के बीच वाकई में मौत हो गई है, तो ज़ाहिर है, सियासत तो होगी ही। आरोप भी जमकर लग रहे हैं, जाँच भी होगी। Mukhtar Ansari का इतिहास हर चुनाव में अलग-अलग राजनीतिक दलों या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का रहा है। वह सियासी हवा का रुख भांपकर दल बदल लेता था। बाहुबली Mukhtar Ansari के सपा से रिश्ते बनते बिगड़ते रहे। 2017 में बसपा में जाने से पहले उसने अपनी पार्टी का सपा में विलय का एलान किया, लेकिन उसी वक्त अखिलेश यादव ने विरोध कर दिया। नतीजा ये रहा कि वह सपा छोड़ बसपा में गया और विधायक बनने में कामयाब रहा।

बाहुबली Mukhtar Ansari पांच बार विधायक ही नहीं रहा बल्कि लोकसभा में जाने भी कोशिश की। वह 2009 में बसपा के टिकट पर वाराणसी से मैदान में उतरा, लेकिन उसे तब हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त वाराणसी से भाजपा के उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी थे। उन्होंने 17 हजार वोट से Mukhtar Ansari को हराया था। आज Mukhtar Ansari की मौत के बाद पूर्वांचल में दहशत थोड़ी और घटेगी, लेकिन परिवार को भी इंसाफ ज़रूर मिलना चाहिए।

इन्साफ की मांग:

63 साल का माफिया और पॉलिटिशियन Mukhtar Ansari, गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी का छोटा भाई था। साल 2019 में बीएसपी के टिकट पर सांसद बने अफजाल इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से फिर चुनाव मैदान में हैं। कुछ दिन पहले Mukhtar Ansari ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत में आरोप लगाया था कि जेल में उसकी हत्या की साज़िश रची जा रही है,और उसे खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है, जिससे उसकी तबीयत लगातार बिगड़ रही है। इस पुरे मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने जेल प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी। और जाहिर सी बात है Mukhtar Ansari के मौत के बाद लगाए गए सारे आरोपों पर शक गहरा हो गया है। Mukhtar Ansari भले एक क्रिमिनल था लेकिन उसकी मौत के बाद जाँच करके पता लगाना ज़रूरी है कि मुख्तार की मौत की असल वजह कुदरती है या कोई साज़िश।

 

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