आपातकाल के दौर के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति रहे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी जन्म 14 दिसंबर 1946 को हुआ था। संजय कभी देश में किसी संवैधानिक पद पर नहीं रहे लेकिन इंदिरा के सिपहसालार के तौर पर भारत की राजनीतिक व्यवस्थाओं में बड़ा हस्तक्षेप रखते थे। आज संजय गांधी की जयंती के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।
काशी के सौन्दर्यीकरण का बनाया था प्लान, डर गई थीं इंदिरा
आपातकाल के दौरान मां इंदिरा गांधी से छिपकर संजय ने बड़े-बड़े शहरों के सौंदर्यीकरण का प्लान बनाया था। उनकी योजना था कि गंदगी के साथ सड़कों पर जानवर और भिखारी ना दिखाई दें। संजय ने काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर जाने वाली विश्वनाथ गली को चौड़ा करने के लिए बुल्डोजर्स भी लगा दिए थे। लेकिन इसी बीच इंदिरा को संजय के प्लान की जानकारी मिली और उन्होंने अपनी एक सहेली को वाराणसी भेजकर इस प्रोजेक्ट को रुकवा दिया। दरअसल इंदिरा को डर था कि इस प्रोजेक्ट को लेकर जनता सरकार का भारी विरोध कर सकती है। इसके अलावा तोड़फोड़ की वजह से इंदिरा को किसी ‘अमंगल’ का डर भी सता रहा था। इसके अलावा आपातकाल के दौरान संजय ने शिक्षा, परिवार नियोजन, पौधरोपण, और जातिवाद के साथ-साथ दहेज प्रथा को लेकर कई कड़े कानून लागू करवाए।
संजय के पास था पायलट का लाइसेंस
संजय को खेलों और विमानों में काफी रुचि थी। इंग्लैंड के रोल्स रॉयस से संजय ने ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में तीन साल की एप्रेंटिसशिप की थी। संजय को स्पोर्ट्स कारों के साथ विमानों के एक्रोबैटिक्स में भी खास रुचि थी। संजय के पास पायलट का लाइसेंस भी था और उन्होंने कई इनाम भी जीते थे। माना जाता है कि सभी विभागों में संजय के सीधे दखल के कारण ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इंद्रकुमार गुजराल ने इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस की वापसी के लिए बनाया था प्लान
जानकार बताते हैं कि आपातकाल की वजह से जब जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया तो संजय ने ही कांग्रेस की वापसी के लिए योजना बनानी शुरू की। बताया जाता है कि उन्हीं की योजना थी कि महंगाई को मुद्दा बनाया जाए और उसी की बदौलत 1980 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। इस बार संजय अमेठी से सांसद के तौर पर भी सरकार का हिस्सा बने। लेकिन उसी साल 23 जून को एक प्लेन क्रैश में संजय का निधन हो गया।