Saturday, December 14, 2024

Nepal: ओली सरकार की वापसी, नेपाल में सरकार बदलने से भारत पर क्या होगा असर ?

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न्यूज़ डेस्क : (GBN24)

स्नेहा श्रीवास्तव

Nepal के मौजूदा प्रधानमंत्री पुष्प कमल प्रचंड संसद में विश्वास प्रस्ताव के दौरान बहुमत हासिल करने में असफल रहे हैं. विश्वास प्रस्ताव में प्रचंड ने बहुमत ना मिलने के कारण अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है.

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Nepal में एक बार फिर से सरकार बदली. पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने को लेकर अपना दावा भी पेश कर दिया है. ओली ने ये दावा मौजूदा प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हारने के बाद पेश किया है. नई सरकार बनाने का दावा ठोकने वाले ओली ने कहा कि उन्होंने संसद मे लगभग 166 सांसदों का समर्थन हासिल किया है. इन सांसदों में से खुद उनकी पार्टी यूएमएल (UML) के 78 और नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं. Nepal में मौजूदा ये राजनीतिक अस्थिरता कोई पहली बार नहीं है.

इससे पहले भी यंहा मौजूदा सरकार के गिरने या गिराने के पश्चात दूसरा दल ने सत्ता में वापसी की है. विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि सत्ता में ओली की वापसी से चीन का काफी फायदा हो सकता है. के पी ओली के चीन के साथ संबंध शुरू से ही अच्छे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि अगर ओली सरकार के इस बार सत्ता में वापसी करने के बाद भारत कि तरफ अपना रुख नहीं बदला तो चीन के सामरिक प्रभाव के कारण इसका असर कुछ हद तक ही सही लेकिन भारत-नेपाल के रिश्ते पर जरूर पड़ेगा.

16 सालों में Nepal के 13 प्रधानमंत्री

Nepal में 2008 में राजतंत्र के खत्म होने के बाद से ही यहां राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया. यह ही वजह है कि बीते 16 साल के लोकतंत्र के इस छोटे से काल में ही Nepal ने 13 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा गया. 2006 के बाद से खुद प्रचंड तीसरी बार Nepal के प्रधानमंत्री बने. इससे पहले प्रचंड 2008 से 2009 और 2016 से 2017 तक Nepal के PM पहले रह चुके हैं. दिसंबर 2022 में एक बार फिर PM बनने के बाद से प्रचंड संसद मे पांचवी बार विश्वास प्रस्ताव का सामना कर चुके हैं परन्तु इस बार वो सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर सके.

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ओली और नेपाली कांग्रेस के बीच का समझौता

ओली की प्रार्टी और नेपाली कांग्रेस के बीच सरकार बनाने को लेकर एक अत्याधिक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है. इसी समझौते के तहत दोनों दल गठबंधन का हिस्सा बने हैं. Nepal के मौजूदा प्रधानमंत्री प्रचंड के संसद में बहुमत साबित ना कर पाने के कारण ओली की कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस के बीच गठबंधन संभव हो पाया है. इस गठबंधन के तहत जो शर्ते रखी गई है वो ये है कि सत्ता में वापसी आने के बाद पहले डेढ़ साल तक ओली Nepal के प्रधानमंत्री बनेंगे और डेढ़ साल के बाद डेयुबा ये पद अगले डेढ़ साल के लिए संभाल लेंगे. बता दें कि Nepal में 2027 में आम चुनाव होने हैं.

Nepal में दो प्रतिद्वंद्वी दिखे एक साथ

इसी सोमवार को नेपाली कांग्रेस और केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था. इसी गठबंधन के पश्चात से ओली ने Nepal में एक बार फिर सत्ता हासिल कर ली. आपको बता दें तो ओली की कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस आपस में गठबंधन से पहले एक दूसरे के विरोधी दल रह चुके है.

Nepal में सरकार बदलने से भारत पर क्या होगा असर ?

भारत के पड़ोसी मुल्कों में से एक है और भारत का करीबी मित्र नेपाल. बीते कुछ दिनो मे जिस तरीके से चीन की दिलचस्पी नेपाल में बढ़ी हुई दिखाई दे रही है, उसे देखते हुए Nepal भारत के लिए कूटनीतिक स्तर पर अब और भी ज्यादा खास हो गया है. ऐसे में अब Nepal में ओली सरकार की घर वापसी न की हो ही चुकी है तो ये जानना भी बहुत जरूरी है कि आखिर इसका प्रभाव भारत पर कितना पड़ेगा. विशेषज्ञ के अनुसार ओली के एक बार फिर से Nepal का प्रधानमंत्री बनने से नेपाल और भारत के संबंध में ज्यादा कुछ बदलाव तो नहीं ही होंगे.

वहीं, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अगर केपी ओली एक बार फिर प्रधानमंत्री बनते हैं तो ये भारत के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. हालांकि, इस बार Nepal में जो नई सरकार बनने जा रही है वो गठबंधन की सरकार होगी, लिहाजा पहले की तरह ओली अब स्वतंत्र रूप से कोई भी बड़े से बङा फैसला नहीं ले सकेंगे. उन्हें किसी भी हाल में गठबंधन धर्म का पालन करना ही होगा.

बदले-बदले हैं ओली के तेवर?

जानकारी के लिए बता दिया जाए कि नेपाल की संसद में प्रचंड की पार्टी के विश्वास मत हारने और केपी ओली के एक बार फिर सत्ता में आने की गारंटी के बाद ओली की पार्टी ने भारत को लेकर जो बयान दिया वो बेहद दिलचस्प है. ये बयान भारत के साथ Nepal का भविष्य कैसे देखता हैं, इस ओर भी कहीं न कहीं इशारा करता है.

उन्होंने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष केपी ओली भी 21वीं सदी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन दोनों देशों के बीच के संबंध को नई ऊंचाइयां देना चाहते हैं. उनका कहना है कि हमारा ऐसा मानना है कि हम अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित तब ही कर सकते है जब भारत के साथ अच्छे हमारे अच्छे संबंध स्थापित हो. इससे Nepal दोगुनी तरक्की करेगा.

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