1 अप्रैल से बंद हो जाएंगी 16 कारें:होंडा की 5, महिंद्रा की 3, हुंडई और स्कोडा की 2-2 कारें,

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यदि आप कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है। क्योंकि अप्रैल 2023 के बाद भारतीय कार बाजार में 17 कारें डिस्कंटीन्यू हो जाएंगी। इनमें सबसे ज्यादा होंडा की पांच, महिंद्रा की तीन, हुंडई और स्कोडा की दो-दो, रेनो, निशान, मारुति सुजुकी, टोयोटा और टाटा की एक-एक कारें शामिल हैं। ज्यादातर कारें डीजल हैं। यदि इन कारों में से कोई आपकी लिस्ट में है तो आपको परेशानी हो सकती है।

दरअसल, भारतीय ऑटो इंडस्ट्री में 1 अप्रैल 2023 के बाद रियल ड्राइविंग एमिशन (RDE) के नए एमिशन नार्म्स लागू हो जाएंगे। इन नियमों के लागू होते ही कार निर्माता कंपनियों को अपनी कारों के इंजन या तो अपडेट करने होंगे या फिर इन्हें डिस्कंटीन्यू करना पड़ेगा।

हुंडई ने की शुरुआत
सरकार की सख्ती को देखते हुए हाल ही में हुंडई अपनी i20 कार के डीजल वेरिएंट को बंद कर चुकी है। इससे पहले टोयोटा और फॉक्सवैगन भी अपनी डीजल कारों को बंद करने की घोषणा कर चुकी हैं।

नए नियमों के तहत करना होगा गाड़ी में बदलाव
वाहनों को आरडीई के अनुसार BS6 फेज 2 के नियमों पर रियल वर्ल्ड कंडीशन में खरा उतरना होगा। ऐसा न होने पर कार मैकर्स कंपनियों को गाड़ियों की बिक्री बंद करनी पड़ेगी।

लोगों की जेब पर पड़ेगा असर
नए एमिशन नॉर्म्स के अनुसार गाड़ियां बनाने के लिए कंपनियां कीमतें बढ़ा रही हैं, क्योंकि मौजूदा मॉडलों के इंजनों को अपडेट करना पड़ रहा है। पिछली बार 2020 में BS6 मानक वाले इंजनों को लाया गया था, जिसकी वजह से कारों की कीमतें 50 से 90 हजार रुपए और टू-व्हीलर्स की कीमत 3 से 10 हजार रुपए के बीच बढ़ गई थीं।

ऐसा इसलिए था, क्योंकि तकनीक को अपग्रेड करने के लिए लगभग 70 हजार करोड़ का निवेश कार मैन्यूफैक्चरर्स ने किया था और लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ा था। इसलिए इस बार भी कुछ कंपनी गाड़ियों के दाम बढ़ा चुकी हैं और कुछ कंपनियां बढ़ाने वाली हैं।

डीजल गाड़ियों पर कैसे पड़ेगा इसका असर?
नए नॉर्म्स के आने से ज्यादातर लोग डीजल गाड़ियों को खरीदने से बच रहे हैं और पेट्रोल गाड़ियों की तरफ फोकस कर रहे हैं। वहीं, कार मैकर्स भी अपनी डीजल गाड़ियों की बिक्री एक-एक कर बंद कर रही हैं। हालांकि, बिक्री बंद होने पर भी इन गाड़ियों की सर्विस मिलती रहेगी। लेकिन, फिर भी लोग इन कारों को खरीदने से हिचक रहे हैं।

इसका एक कारण यह भी है कि दिल्ली जैसे जगहों पर 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को चलाने पर प्रतिबंध है। वहीं, पेट्रोल गाड़ियों को 15 साल तक चलाया जा सकता है।

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